पहला रक्षासूत्र किसने किसको बांधा था? जानकर चौंक जाएंगे आप भी

धर्म ग्रंथों के अनुसार, रक्षाबंधन पर्व हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस बार पंचांग भेद के कारण ये पर्व 11 व 12 अगस्त को मनाया जाएगा। इस दिन बहन-भाई का प्यार देखते ही बनता है। इस पर्व से जुड़ी कई मान्यताएं और परंपराएं भी हैं, जो इसे खास बनाती हैं। धर्म ग्रंथों में रक्षाबंधन पर्व को लेकर कई कथाएं भी मिलती हैं। आज हम आपको रक्षाबंधन से जुड़ी कुछ ऐसी ही कथाओं के बारे मे बता रहे हैं…
पहला रक्षासूत्र किसने, किसे बांधा था?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार देवताओं और दानवों में भयंकर युद्ध हुआ। दानवों से डरकर देवताओं की सेना भागने लगी। इस युद्ध में इंद्र की शक्ति भी दानवों के आगे क्षीण हो गई। सभी देवता अपने प्राण बचाकर भागने लगे। तभी इंद्र की पत्नी शचि देवगुरु बृहस्पति के पास गई और उन्हें पूरी बात बताई। देवगुरु ने कहा “मैं मंत्रों से अभिमंत्रित एक रक्षा सूत्र तैयार करुंगा, जिसे तुम श्रावणी पूर्णिमा पर शुभ योग में देवराज इंद्र की कलाई पर बांध देना। इसके प्रभाव से देवताओं को विजय प्राप्त होगी।” शचि ने ऐसा ही किया और उस रक्षा सूत्र के प्रभाव से देवताओं ने दानवों पर विजय प्राप्त की। इस तरह पहला रक्षा सूत्र बहन ने भाई को नहीं बल्कि पत्नी ने पति को बांधा था।