fbpx

‘महंगाई डायन खाय जात है’ से याद आता है पीपली लाइव का ‘नत्था’, देखिए वो कहां हैं आजकल

Editor Editor
Editor Editor
5 Min Read

सघर्ष तो हर किसी को करना पड़ता है मगर कुछ लोगों की ज़िंदगी का सफ़र काफ़ी मुश्किल भरा होता है. अक्सर हम बॉलीवुड एक्टर्स की लाइफ़स्टाइल देखकर उनके कायल हो जाते हैं. मगर असल में वो बहुत स्ट्रगल के बाद यहां तक पहुंचते हैं. अगर हम छोटे-मोटे रोल करने वाले एक्टर्स की भी बात करें तो उनका संघर्ष भी कम नहीं होता है.

उनमें से एक नाम फ़िल्म’पीपली लाइव’के नत्था यानी ओंकार दास मानिकपुर का नाम भी शामिल है. उनकी ज़िंदगी काफ़ी मुफ़लिसी में गुज़री है. जहां उन्होंने 50 रुपए में भी काम किया है. मगर पीपली लाइव के बाद उनकी क़िस्मत बदली और लोग उनके फै़न हो गए. आज हम आपको फ़िल्म’पीपली लाइव’ के नत्था के बारे में बताएंगे कि वो कहां है और क्या कर रहे हैं?

ओंकार दास मानिकपुरी का जन्म 1971 में छत्तीसगढ़ के भिलाई दुर्ग में हुआ था. उन्होंने कक्षा 5वीं तक पढ़ाई की थी. वो छठी कक्षा में पहुंचे ही थे की उनके पिता कंपनी से रिटायर हो गए थे. जिसके बाद सर पर घर संभालने की सारी ज़िम्मेदारी आ गयी थी.

ओंकार ने करियर बनाने में बहुत मेहनत की है. ओंकार एक बहुत अच्छे स्टेज एक्टर हैं. उन्होंने बॉलीवुड में डेब्यू आमिर खान के प्रोड्कशन फ़िल्म’पीपली लाइव’से की थी. दरअसल, इस फ़िल्म ने ओंकार को नई पहचान दी थी. इस फ़िल्म में नत्था के क़िरदार के लिए मेकर्स पहले राजपाल यादव को कास्ट करने की सोच रहे थे. फ़िर विजय राज के बारे में भी सोचा गया लेकिन उनका कद काफ़ी लंबा था.

जिसके बाद आमिर खान ख़ुद इस क़िरदार को करना चाहते थे. लेकिन उसी दौरान उनकी फ़िल्म’3 इडियट्स’की शूटिंग चल रही थी. इसीलिए उन्होंने कहा कि,”मैं 1 साल बाद की डेट दे पाऊंगा”. जिसके बाद ओंकार ने भी अपना ऑडिशन दिया और वो सेलेक्ट हो गए. इस ऑडिशन को देखते ही आमिर खान ने कहा कि,”नत्था मिल गया”

उनके पिता के रिटायर होने के बाद घर की हालत और भी बुरी हो गयी थी. उनका परिवार रोटी के लिए तरस जाया करता था. उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया कि, उन्होंने चाय कब पी थी ये भी याद नहीं था. इन सबके बीच में महज़ 17 वर्ष की आयु में उनकी शादी हो गयी और उनके ऊपर पत्नी की ज़िम्मेदारी भी आ गयी. क्योंकि उनके परिवार में आज तक किसी ने एक्टिंग नहीं की थी. तो उनके पिताजी ने कहा,”कब तक यूहीं निठल्लों की तरह घूमते रहोगे”.जिसके बाद उन्होंने फैक्ट्री और किराने की दुकान पर भी काम किया. लेकिन उनका मन सिर्फ़ एक्टिंग में ही लगता था.

ओंकार के ऊपर एक्टिंग का जूनून चढ़ गया था. जिसके बाद वो सोते-जागते सिर्फ़ एक्टिंग के बारे में सोचते थे. उन्हें परिवार की ओर से बहुत ताने भी मिले. ओंकार छत्तीसगढ़ के रहने वाले थे और वहां लोकगीत का एक बड़ा ग्रुप था. जिसका नाम ‘छत्तीसगढ़ महतारी’ था. वो उस ग्रुप से जुड़ गए. उन्होंने बताया कि, उन्हें एक शो के 50 रुपये मिलते थे. जिसके बाद उन्होंने हबीब तनवीर के ग्रुप से जुड़ गए. वहां उन्होंने जमकर काम किया. अपनी डेब्यू फ़िल्म के बाद उनकी आर्थिक स्थिति काफी हद तक ठीक हो गयी. इस फ़िल्म के बदौलत आज वो अपने बच्चों को अच्छे स्कूल में पढ़ा पा रहे हैं. 

इस फ़िल्म से मशहूर होने के बाद वो टीवी की दुनिया में भी दिखाई दिए. साथ ही ओंकार जल्द ही शाहरुख खान के साथ फ़िल्म में नज़र आएंगे और 2022 में फ़िल्म ‘रोमियो इडियट देसी जूलिएट’ में भी नज़र आएंगे. इसके अलावा एक उपन्यास पर आधारित फिल्म ‘भूलन द मेज’ (छत्तीसगढ़ की क्षेत्रिय फ़िल्म) में भी नज़र आए. इस मूवी को राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार- 2021 का सम्मान भी मिला. इसमें भी इनके किरदार को काफ़ी सराहा गया.

Share This Article