सनी देओल की फिल्म ‘चुप’ के लिए आर बाल्की ने जो तरकीब अपनाई थी वह काम करते दिख रही है!

सनी देओल और दुलकर सलमान स्टारर टचुप: रिवेंज ऑफ़ द आर्टिस्ट’ को लेकर आर बाल्की एंड टीम ने बायकॉट बॉलीवुड के दौर में प्रमोशन का जो धांसू आइडिया निकाला है उसका असर दिख रहा है. फिल्म की रिलीज से दो दिन पहले चुप के पक्ष में दर्शक माहौल बनाते दिख रहे हैं. फिल्म के पक्ष में जिस तरह की पब्लिक अपील है उसे देखकर निश्चित ही प्रमोशन में उस्ताद माने जाने वाले तमाम फिल्म मेकर्स अपना माथा पीट रहे होंगे कि आखिर ऐसा क्रिएटिव आइडिया उनके मन में क्यों नहीं आया. आदित्य चोपड़ा, करण जौहर और आमिर खान को यूनिक प्रमोशन के लिए भी याद किया जाता है. मगर तीनों मेकर्स की फ़िल्में बायकॉट बॉलीवुड ट्रेंड से जूझने का बढ़िया विचार मूर्त नहीं कर पाईं.
हालांकि आर बाल्की ने अपनी फिल्म के लिए क्रिएटिव आइडिया खोज निकाला जो चुप के विषय को भी जस्टिफाई करता है. असल में थ्रिलर ड्रामा की कहानी का केंद्र ही फिल्म मेकर्स पर क्रिटिक्स के कथित अत्याचार को लेकर बनाई गई है. आर बाल्की ने किया यह कि आमतौर पर रिलीज से पहले जिन फिल्मों का शोज फ़िल्मी सितारों और क्रिटिक्स के लिए रखे जाते थे उन्होंने भारतीय सिनेमा में पहली बार दर्शकों के लिए देश के कुछ चुनिंदा शहरों में एक दिन का फ्री शो आयोजित करवाया. इसे “फ्रीव्यू” कहा गया. यानी दर्शकों को फ्री में फ़िल्में दिखाई गई. फिल्म देखने वालों से उनका अपना नजरिया भी रखने का अनुरोध किया गया था. बताया जा रहा कि सभी शहरों के फ्रीव्यू शो हाउसफुल रहे हैं.
चुप की दर्शक तारीफ़ कर रहे हैं.
क्या चुप बॉलीवुड की रौनक वापस लौटाने में सक्षम है?
जैसा कि स्वाभाविक था फिल्म के पक्ष में तगड़ा ऑडियंस सपोर्ट बनता दिख रहा है. 23 सितंबर को रिलीज से पहले ही सोशल मीडिया पर फिल्म ट्रेंड कर रही और इसके पॉजिटिव पक्षों पर बातें हो रही हैं. ChupPublicFreeView और ChupRevengeOfTheArtistके रूप में फिल्म से जुड़े कई हैशटैग ट्विटर पर ट्रेंड कर रहे हैं. एक दर्शक ने लिखा कि आर बाल्की की चुप भारतीय सिनेमा के इतिहास में बनी अब तक की सबसे बेहतरीन फिल्म कही जा सकती है. फिल्म के हर दृश्य, विषय में दिलचस्पी बनाए रखने में सक्षम हैं कि अब आगे क्या होने वाला है. टस से मस होने का वक्त नहिउन मिल पाता. निश्चित ही दुलकर सलमान ने करियर की सबसे बेहतरीन फारफॉर्मेंस दी है. चुप में वायलेंस के साथ रोमांस का कॉकटेल देखने लायक है. बॉलीवुड वापस लौट रहा है.
एक ने लिखा कि किसी फिल्म की रिलीज से पहले पीवीआर जैसे मल्टीप्लेक्स में फिल्म देखने का बहुत दुर्लभ और शानदार मौका मिला. मैं चुप के बारे में कुछ बताकर दर्शकों का मजा किरकिरा खराब नहीं करना चाहता. बस इतना कहना चाहूंगा कि रिलीज के बाद जाइए और देखिए, सिनेमा ऐसा भी हो सकता है. कुछ प्रतिक्रियाएं जेन्युइन हैं या नहीं इन्हें लेकर कोई दावा नहीं किया जा सकता मगर, ऐसे लोगों की कमी नहीं जो प्रीव्यू में फिल्म देखकर इतने प्रभावित हुए हैं कि वे इसे दोबारा देखने की बातें कह रहे हैं. एक ने इंटेंस थ्रिलर बताते हुए लिखा- इसमें कोई शक नहीं कि चुप से बेहतर थ्रिलर नहीं बनाई जा सकती. सिनेमाघरों में किसी फिल्म को लेकर जितनी अपेक्षाएं होती हैं, सब चुप में हैं. मैं खुद को इसे दोबारा देखने से रोकने में असमर्थ हूं.