“जहां हमारे सपने पूरे होते हैं, वहां इनका स्ट्रगल शुरू होता है.” क्रिटिक राजीव मसंद के शो ‘राउंडटेबल’ पर कही गई सिद्धांत चतुर्वेदी की ये बात न सिर्फ कई साल तक याद रखी जाएगी, बल्कि एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में चल रहे परिवारवाद पर एक चोट की तरह देखी जाती है. फिल्म इंडस्ट्री में कुछ परिवारों का बोलबाला रहा और ये कोई छुपी हुई बात नहीं है कि आज भी फिल्म इंडस्ट्री में एंट्री लेना किसी बाहरी के लिए कई गुना अधिक मुश्किल होता है. लेकिन समय-समय पर एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री ने ऐसे कई लोग देखे जो न सिर्फ अपने संघर्ष के दम पर इंडस्ट्री में आए बल्कि आने के बाद सुपरस्टार बन गए. किसी ने गरीबी देखी तो किसी ने हिकारत झेली लेकिन आज ये सभी इतने बड़े नाम हैं कि वे खुद में एक बड़े ब्रांड बन चुके हैं. आइए नज़र डालते हैं ऐसे ही कुछ बड़े नामों पर.
1. शाहरुख़ खान
“जब मैं मुंबई आया, मेरे पास रहने को जगह नहीं थी. जिस टीवी शो के लिए काम करने आया उन्होंने मुझे रहने के लिए जगह दी. पहले ऑफिस में सोता रहा कई दिन, फिर उन्होंने अपने घर में जगह दी. जब शादी हो गई तो मुझे किराए का घर लेना था मगर मेरे पास पैसे ही नहीं थे. मैंने दोस्त से पैसे उधार लिए. ऐसी ही छोटी छोटी चीजों ने मुझे यकीन दिलाया कि मैं मुंबई में स्टार बन सकता हूं”, एक इवेंट के दौरान शाहरुख़ खान को ये बताते पाया गया था.
शाहरुख़ खान ने जब मुंबई में कदम रखा, अपना कहने के लिए उनके पास ज्यादा कुछ नहीं था. उनके पिता पहले ही गुज़र चुके थे, मां भी गुज़र गईं. बहन की सेहत अच्छी नहीं रहती थी. एक इवेंट में शाहरुख़ ने बताया था कि वो अपने जीवन के इतने बुरे दौर में थे कि उन्होंने खुद को समझाना शुरू कर दिया कि अब इससे बुरा कुछ नहीं हो सकता.
‘फौजी’ के दृश्य में शाहरुख़.
यूं तो शाहरुख़ का एक्टिंग करियर 1988-89 से ही शुरू हो गया था, जब उन्हें ‘फौजी’ नाम के टीवी शो में एक साइड रोल मिला. मगर संयोग कुछ ऐसा रहा कि सीरियल के लीड एक्टर ने अपना रोल छोड़ दिया और वो जगह शाहरुख को मिल गई. इसके बाद उन्होंने सर्कस नाम के सीरियल में किरदार मिला. टीवी की परफॉरमेंस के बाद इंडस्ट्री में उन्हें नोटिस किया जाने लगा और 1991 में उन्हें हेमा मालिनी की फिल्म ‘दिल आशना है’ ऑफर हुई.
शाहरुख़ एक बेहद आम परिवार से आते हैं. उनके पिता मीर ताज मोहम्मद खान पेशावर से थे और अंग्रेजों के खिलाफ आज़ादी की लड़ाई में सक्रिय थे. फिल्म क्रिटिक अनुपमा चोपड़ा अपनी किताब ‘किंग ऑफ़ बॉलीवुड: शाहरुख़ खान एंड द सिडक्टिव वर्ल्ड ऑफ़ इंडियन सिनेमा’ में लिखती हैं कि शाहरुख़ के पिता अब्दुल गफ्फार खान के अनुयायी रहे और आज़ादी के उनके अहिंसक आंदोलन का हिस्सा रहे. वहीं शाहरुख़ के चाचा शाहनवाज़ खान सुभाषचंद्र बोस की इंडियन नेशनल आर्मी में मेजर जनरल थे. पार्टीशन के बाद शाहरुख़ के पिता ने इंडिया में रहना चुना, वहीं पिता की ओर का बाकी परिवार पेशावर में बसा. शाहरुख़ की मां हैदराबाद से थीं और बेहद आम परिवार से आती थीं.
आज बांद्रा वेस्ट में 6 मंजिल के सी-फेसिंग बंगले मन्नत में रहने वाले शाहरुख़ बचपन से ही किराए के मकानों में रहे. 2017 में जब उनसे नेपोटिज्म यानी फिल्म इंडस्ट्री में परिवारवाद पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने बड़े साफ़ तौर पर इस सवाल को बेजा बता दिया: “मैं क्या कहूं, मैं 25 की उम्र में मुंबई आया और मुझे इस शहर ने गले लगाया. अब मेरे बच्चे मरीन बायोलॉजिस्ट बनें या एक्टर, मेरे लिए तो दोनों ही ठीक है.” आर्यन और सुहाना खान, दोनों ने ही फिल्म और एक्टिंग से जुड़ी पढ़ाई की है. जहां आर्यन खान राइटर-डायरेक्टर बनने की ओर झुकते दिखते हैं वहीं सुहाना का एक्टिंग डेब्यू भी हो चुका है.
2. रजनीकांत
“1970 के दशक की बात है. मेरा नाम लोग जानने लगे थे. मुझे एक फिल्म का ऑफर आया. मेरे पास डेट्स भी थीं और किरदार भी अच्छा था तो मैंने हां कह दिया. मैंने प्रड्यूसर से कहा कि मैं फिल्म करने के 10 हजार रुपये लूंगा. बातचीत के बाद उन्होंने कहा 6 हजार देंगे. तो मैंने कहा कि एडवांस में 100-200 रुपये मुझे दे दें, जिससे मैं रोल कन्फर्म मानूं. उन्होंने मुझसे मना कर दिया. ये वादा भी किया कि शूट शुरू होने के वक़्त 1000 रुपये देंगे. लेकिन मुझे कोई भी पैसे नहीं दिए गए. बल्कि मुझे छोटा महसूस कराया गया,” 2020 में एक स्पीच देते हुए रजनीकांत ने वाकया सुनाया. ये वही दिन था जिस दिन रजनीकांत ने तय कर लिया था कि उन्हें सुपरस्टार बनना है.
शिवाजी राव गायकवाड़, जिन्हें हम आज हम तमिल सुपरस्टार रजनीकांत के नाम से जानते हैं, वे न तो तमिलनाडु से हैं न ही किसी बड़े प्रड्यूसर की संतान हैं. मराठी परिवार से आने वाले शिवाजी के पिता रामोजीराव गायकवाड़ पुलिस कॉन्स्टेबल थे और मां एक होममेकर. उनकी पूरी शिक्षा सरकारी स्कूल में हुई. शिवाजी ने बचपन से कभी पैसों का सुख नहीं देखा था. बड़े हुए तो कारपेंटर का काम किया, फिर कुली का भी काम किया. उनकी नौकरी बैंगलोर ट्रांसपोर्ट सर्विस में बस कंडक्टर के तौर पर लग गई. जिसके बाद शिवाजी छोटे-छोटे नाटकों में हिस्सा लेने लगे और धीरे-धीरे एक्टिंग के प्रति अपनी मोहब्बत को पहचाना. इसी वक़्त उन्होंने मद्रास फिल्म इंस्टिट्यूट का विज्ञापन देखा और दोस्त से पैसे मांगकर कोर्स में एडमिशन लिया.
शुरुआती और छोटे रोल्स से ही रजनी ने अपनी छाप छोड़नी शुरू कर दी थी.
इसी इंस्टिट्यूट में एक परफॉरमेंस के दौरान उन्हें तमिल फिल्म डायरेक्टर के बालचंद्र ने नोटिस किया और अपनी एक फिल्म में उन्हें सपोर्टिंग एक्टर का रोल दिया. रोल था एक अब्यूजिव पति का जो अपनी पत्नी को बहुत पीटता है. लेकिन कमाल की बात ये है कि मराठी लड़के शिवाजी को तमिल नहीं आती थी. के बालचंद्र के कहने पर उन्होंने तमिल भाषा सीखी, जिसे वो बोलना तो सीख गए, लिखना आज भी नहीं सीख पाए, ऐसा उनकी बेटी बताती हैं. लेकिन तमिल इंडस्ट्री में पहले ही शिवाजी गणेशन नाम के एक बड़े एक्टर थे. तो बालचंद्र ने शिवाजी को दिया उनका स्टेज नेम और आगे चलकर बनने वाली उनकी पहचान- रजनीकांत.
80 और 90 का दशक आते आते रजनी सुपरस्टार बन चुके थे. शुरुआती सफलता के बाद जब जब ऐसी सुगबुगाहटें हुईं कि रजनीकांत का करियर ख़त्म हो रहा है, उन्होंने उतनी ही बार कमबैक किया, चाहे वो 1980 की ‘बिल्ला’ हो या 2005 की ‘चंद्रमुखी’. 2010 में आई उनकी फिल्म ‘एन्तिरन’ उस वक़्त देश की सबसे महंगी और सबसे ज्यादा कमाने वाली फिल्म थी.
छोटे पॉलिटिकल करियर और सेहत के मसलों के बीच 71 साल के रजनीकांत आज भी उतनी ही मेहनत से फ़िल्में कर रहे हैं. उनकी पत्नी लता सिंगर हैं और बेटियाँ ऐश्वर्या और सौंदर्या भी फिल्म इंडस्ट्री के जुड़ी हुई हैं.
3. अनुष्का शर्मा
“मैंने सबसे पहला रिजेक्शन 15 की उम्र में झेला. मैं कभी संघर्षों के बारे में बार नहीं करती क्योंकि मैं मानती हूं कि इसकी ज़रुरत नहीं है. लेकिन ये सच है कि मुझे जाने कितने ही शो से ड्रॉप किया गया, ऐड फिल्म्स में मुझे दूसरी अभिनेत्रियों से रिप्लेस किया गया. मुझे मालूम है कि ये सब इस इंडस्ट्री का हिस्सा है, ऐसा होता ही है. लेकिन जब कोई आपसे 15 की उम्र में कहता है कि आपको कोई किरदार नहीं मिल सकता क्योंकि आप खूबसूरत नहीं दिखतीं, ये आपकी सेल्फ-एस्टीम को हिलाकर रख देता है,” अनुष्का शर्मा ने साल 2017 में डीएनए इंडिया को एक इंटरव्यू में बताया.
अनुष्का के पिता अजय कुमार शर्मा भारतीय आर्मी में कर्नल रहे. वहीं उनकी मां आशिमा शर्मा होममेकर हैं. अजय कुमार शर्मा मूल रूप से उत्तर प्रदेश के निवासी हैं और अनुष्का का जन्म भी अयोध्या में हुआ था. वहीं अनुष्का की मां गढ़वाली हैं. पिता के आर्मी अफसर होने की वजह से अनुष्का कई शहरों में बड़ी हुईं. ग्रेजुएशन के बाद अनुष्का मॉडलिंग की दुनिया में करियर बनाने के लिए मुंबई शिफ्ट हुईं. 2007 में उन्हें लक्मे फैशन वीक में हिस्सा लेने का मौका मिला. इसके बाद उन्हें कई विज्ञापन भी मिले. मगर अनुष्का को मालूम था कि वे एक्टिंग के लिए ही बनी हैं, इसलिए वे लगातार एक्टिंग के लिए ऑडिशन करती रहीं.
मॉडलिंग के दिनों के दौरान एक ऐड में अनुष्का.
‘कॉफ़ी विद करन’ के एक एपिसोड मेंअनुष्का बताती हैं कि जब उन्होंने ‘रब ने बना दी जोड़ी’ के लिए ऑडिशन दिया, आदित्य चोपड़ा ने उनसे साफ़ तौर पर कह दिया, “तुम्हारे अंदर टैलेंट तो है, उसी की वजह से तुम्हें ये रोल मिल रहा है. सच तो ये है कि तुम ज्यादा खूबसूरत नहीं दिखती हो.”
शाहरुख़ के साथ लॉन्च होने के बाद सिर्फ शाहरुख़ की हिरोइन होना बचा रहे, अनुष्का के लिए इस बात से लड़ना एक बड़ी चुनौती थी. इंडियन एक्सप्रेस से हुई एक बातचीत में अनुष्का बताती हैं, “मैं रातोंरात स्टार नहीं बनी. जब मेरी दूसरी फिल्म ‘बैंड बाजा बारात’ जब रिलीज़ होने को थी, न उसका कोई चर्चा हुआ, न ही कोई मुझे इंटरव्यू करना चाहता था. कोई मुझे ‘नेक्स्ट बिग थिंग’ नहीं पुकारता था, कोई मुझे मैगज़ीन के कवर पर नहीं छापता था. मुझसे लोग कहते थे कि बड़े स्टार्स के साथ फ़िल्में करो, सौ करोड़ वाली फ़िल्में करो, तभी तुम्हारी पहचान बनेगी.”
अपने करियर के शुरुआती 6 साल में अनुष्का ने सिर्फ 7 फिल्मों में काम किया. उन्होंने सलमान और आमिर के साथ भी काम किया. फिर वो ‘क्लीन स्लेट फिल्म्स’ के नाम से अपना प्रोडक्शन हाउस लेकर आईं और लोगों को ये भरोसा हुआ कि वो सिर्फ टिपिकल पंजाबी दिल्ली गर्ल का रोल करने के लिए नहीं बनी हैं. NH4, फिल्लौरी, परी और सुई धागा जैसी फिल्मों ने अनुष्का को अपनी आइडेंटिटी बनाने में मदद की. फ़िलहाल अनुष्का अपने प्रोडक्शन हाउस के अलावा ‘नूश’ नाम के गारमेंट ब्रांड की मालकिन हैं. क्रिकेटर विराट कोहली से शादी के बाद वो एक बच्ची की मां भी हैं.
4. मिथुन चक्रवर्ती
“मैं फुटपाथ से आया हूं. मुंबई शहर में मैं कहीं भी सो जाता था. मेरे एक दोस्त ने मुझे माटुंगा जिमखाना में मेम्बरशिप सिर्फ इसलिए दिलवाई कि मैं सुबह बाथरूम इस्तेमाल कर पाऊं. सुबह का नहाना-धोना तो फिर भी हो जाता था, लेकिन ये नहीं पता होता था कि खाना कहां मिलेगा, सोऊंगा कहां. बहुत बुरे ख़याल आते थे. मेरा बैकग्राउंड ऐसा था कि मैं वापस कोलकाता नहीं जा सकता था,” एक इंटरव्यू में मिथुन चक्रवर्ती बताते हैं.
मिथुन चक्रवर्ती की पैदाइश और परवरिश एक आम मिडिल क्लास बंगाली परिवार में हुई. केमिस्ट्री से बीएससी करने के बाद उन्होंने फिल्म एंड टेलीविज़न इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया, पुणे में दाखिला लिया. तभी घर में एक त्रासदी हुई, उनके भाई की एक एक्सीडेंट में मौत हो गई. मिथुन नक्सल पॉलिटिक्स में सक्रिय थे और जब इसे छोड़ने का फैसला लिया, तब घर वापस लौटने का विकल्प उनके जीवन से गायब हो गया. जो करना था, मुंबई में ही करना था.
फिल्म ‘मृगया’ के सेट पर मिथुन.
मिथुन शारीरिक तौर पर फिट थे, डील-डौल भी अच्छी थी. मगर अपने रंग को लेकर उनका कॉन्फिडेंस हमेशा कम रहा. कहा जाता है कि हीरो बनने के लिए हीरो दिखना भी पड़ता है. मिथुन कहते हैं, “मैं डांस अच्छा करता था, मार्शल आर्ट्स भी जानता था. इसलिए मैं हमेशा ये सोचता रहता था कि कुछ ऐसा करूं कि लोगों का ध्यान मेरे रंग पर न जाए. हालांकि मुझे जो ब्रेक मिला, उसमे मुझे लीड रोल ही मिला. मगर वो किरदार एक आदिवासी का था. मेरा रंग-रूप उस किरदार में फिट हो रहा था.”
1976 में आई इस डेब्यू फिल्म ‘मृगया’ के लिए मिथुन को नेशनल अवॉर्ड मिला. लेकिन मिथुन को असल सफलता 1979 के साथ-साथ 80 के दशक में मिली जिसने उन्हें सुपरस्टार बना दिया. ‘सुरक्षा’ उनकी पहली सुपरहिट फिल्म थी. इसके बाद ‘डिस्को डांसर’, ‘कसम पैदा करने वाले की’, ‘प्यार झुकता नहीं’, ‘प्यारी बहना’, ‘प्रेम प्रतिज्ञा’ जैसी फिल्मों ने मिथुन को सिर्फ एक एक्टर ही नहीं, बल्कि सिनेमा के एक प्रकार की तरह जमाया, सिनेमा का एक ऐसा प्रकार जिसे मिथुन के नाम से ही परिभाषित किया जाने लगा- ‘असंभव को संभव करने वाला, थिएटर की पहली कतार में बैठने वालों का हीरो’.
हिंदी फिल्मों के शुरिआती सफल करियर के बाद मिथुन ने बंगाली फिल्मों में काम किया, सिनेमा और आर्ट्स से जुड़ी तमाम असोसिएशन्स को हेड किया, टीवी पर डांस इंडिया डांस शो पर ‘ग्रैंडमास्टर’ की भूमिका में रहे. 2014 में मिथुन तृणमूल कांग्रेस की ओर से राज्यसभा सांसद रहे. और 2021 में उन्होंने बीजेपी को जॉइन किया.
एक्ट्रेस योगिता वाली से विवाह के बाद मिथुन के 4 बच्चे हैं. उनके सबसे बड़े बेटे मीमो चक्रवर्ती एक्टिंग में खुद को आज़मा चुके हैं, मगर वे इस दुनिया में कोई जादू नहीं दिखा पाए हैं.
5. प्रियंका चोपड़ा
“दो बार ऐसा हुआ कि मुझे फिल्मों से बाहर किया गया. प्रोड्यूसर की सिफारिश पर या पुरुष एक्टर के कहने पर. मैं क्या करती, मैं रोई और आगे बढ़ी,” प्रियंका चोपड़ा ने पिंकविला को दिए एक इंटरव्यू में बताया था. 2019 में हुई ब्राउन वीमेन वर्ल्ड समिट में प्रियंका ने कहा था, “नेपोटिज्म और बॉलीवुड हाथ में हाथ डाले चलते हैं. लेकिन बार बार ऐसा हुआ है कि इंडस्ट्री के चुनिन्दा परिवारों से अलग कोई बाहरी आया है और अपने शानदार काम से अपनी एक विरासत तैयार की है. मुझे उम्मीद है मैं भी ऐसा कुछ कर पाऊं.”
प्रियंका चोपड़ा ने एक नहीं, दो बार एंट्री ली. एक बार बॉलीवुड और दूसरी बार हॉलीवुड में. दोनों ही बार वो एक ‘बाहरी’ थीं. प्रियंका के मां और पिता, दोनों ही इंडियन आर्मी में डॉक्टर रहे. प्रियंका की नानी मधु ज्योत्सना अखूरी प्रियंका की पैदाइश के जिले जमशेदपुर से विधयाक भी रहीं. प्रियंका के नाना और नानी, दोनों ही कांग्रेस के मेम्बर थे और नानी ने जमशेदपुर ईस्ट से 1962 में विधायकी का चुनाव जीता था.
फिल्म ‘ऐतराज़’ में प्रियंका.
मां और पिता के पेशे की वजह से प्रियंका को लगातार एक से दूसरी जगह शिफ्ट होना रहा. जिससे उनकी परिवरिश कई शहरों में हुई. प्रियंका बताती हैं कि 13 की उम्र में वे कुछ साल के लिए अमेरिका में भी रहीं, जहां उन्हें पहली बार एहसास हुआ कि रंग और नस्ल को लेकर किस हद तक भेदभाव होता है. हालांकि प्रियंका की स्कूलिंग का खात्मा बरेली शहर में हुआ, जहां से उन्होंने 12वीं की परीक्षा दी. मां के सपोर्ट से प्रियंका ने 12वीं के बाद, साल 2000 मिस इंडिया कॉन्टेस्ट में हिस्सा लिया. उन्हें मिस इंडिया वर्ल्ड का खिताब तो मिला ही, उसी साल वो मिस वर्ल्ड भी बनीं. इसके बाद उन्हें फिल्मों के ऑफर आने लगे.
मगर कोई भी ऑफर उनके लिए ऐसा बिग टिकट नहीं था जो उन्हें रातोंरात स्टार बना दे. करियर की शुरुआत उन्होंने एक तमिल फिल्म से की. बॉलीवुड में ‘हीरो: द लव स्टोरी ऑफ़ अ स्पाई’ उनकी पहली फिल्म थी जिसमें वो सेकंड लीड रहीं. ‘अंदाज़’ फिल्म में भी उन्होंने लारा दत्ता के साथ स्क्रीन शेयर की. आने वाली कुछ फ़िल्में सफल नहीं हुईं और प्रियंका की छवि मात्र एक ग्लैमरस लड़की की बन गई. फिर उनके हाथ ‘ऐतराज़’ फिल्म आई, जिसमें उन्होंने करीना कपूर के अगेंस्ट एक नेगेटिव किरदार निभाया और अपने काम से ऐसी छाप छोड़ी जिसे आज भी याद रखा जाता है. 2008 में आई ‘फैशन’ ने उन्हें एक मज़बूत और काबिल एक्ट्रेस के तौर पर दर्ज करवाया.
कई सफल फिल्मों के बाद प्रियंका को अमेरिकी सीरीज ‘क्वांटिको’ में लीड रोल मिला, जिसके बाद उन्हें ‘बेवॉच’ और ‘मेट्रिक्स’ जैसी मशहूर फिल्मों की सीरीज में देखा गया. अपनी आत्मकथा ‘अनफिनिश्ड’ में प्रियंका लिखती हैं कि उनके रंग का न सिर्फ इंडिया में तो मज़ाक बनता ही था. एक बार जब उन्होंने अपनी फिल्म के प्रड्यूसर से फीस बढ़ाने को कहा तो उनसे जवाब में कहा गया कि उनके जैसी लड़कियां कई हैं, उन्हें कभी भी रिप्लेस किया जा सकता है. वहीं जब अमेरिका में उन्हें ‘थर्सडे नाइट फुटबॉल’ के प्रोमो में कास्ट किया गया, उन्हें ‘ब्राउन टेररिस्ट’ और ‘अपने देश लौटकर बुर्का पहनो’ जैसी बातें कही गईं.
फ़िलहाल प्रियंका अपने प्रोडक्शन हाउस ‘पर्पल पेबल पिक्चर्स’ की मालकिन हैं. एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, “मैंने ये प्रोडक्शन हाउस इसलिए शुरू किया ताकि नए और स्थानीय टैलेंट को मौका मिले और उन्हें वो न झेलना पड़े जो मैंने झेला.” प्रियंका ने 2018 में अमेरिकी सिंगर और एक्टर निक जोनस से शादी की और 2022 में वो सरोगेसी के ज़रिये एक बच्ची की मां बनीं.