काला जादू दूर करने के लिए मशहूर है यह मंदिर, जानिए इस मशहूर मंदिर के बारे में…
हमारे देश में कई मंदिर तंत्र-मंत्र की विद्याओं और बुरी नजर या फिर बुरी आत्माओं से लोगों को बचाने के लिए जाने जाते हैं। उन्हीं में से एक असम का मशहूर कामाख्या मंदिर। यहां रोजाना हजारों की भीड़ में लोग दर्शन करने और बुरी आत्माओं से छुटकारा पाने के लिए आते हैं। आइए जानते हैं इस मंदिर से जुड़ी खास बातें।
असम के गुवाहाटी स्थित कामाख्या मंदिर एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। माता का यह मंदिर तांत्रिक क्रियाओं के लिए भी जाना जाता है। मंदिर की उत्पत्ति की कहानी भी काफी आकर्षक है। इस मंदिर को 51 शक्तिपीठों में गिना जाता है। कई हिंदू मूल के अनुसार 51 और 108 शक्तिपीठों का वर्णन किया गया है।
एक प्रचलित कथा के अनुसार, ‘माता सती’ के शरीर के 51 टुकड़े जहां-जहां गिरे, उन-उन जगह को शक्तिपीठों में गिना जाता है। कामाख्या मंदिर एक ऐसा शक्तिपीठ मंदिर है, जहां माता सती की योनि गिरी थी। इसलिए यहां माता के योनि रूप की पूजा होती है। मंदिर न केवल इसके लिए, बल्कि काला जादू उतारने के लिए भी जाना जाता है। यहां दूर-दराज से लोग काला जादू उतारने के लिए आते हैं।
इस तरह होती है पूजा
कामाख्या मंदिर में काले जादू की पूजा के बारे में बहुत लंबे समय से मान्यता है। अगर आप सोच रहे हैं कि मंदिर में काला जादू किया जाता है या वशीकरण से जुड़े टोटके भी यहां किए जाते हैं, तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। कामाख्या मंदिर एक ऐसी जगह है, जहां लोग काला जादू से छुटकारा पाने या उतारने के लिए यहां आते हैं। हैरान कर देने वाली बात तो यह है कि 21वीं सदी में भी लोग काला जादू की समस्या से पीड़ित हैं और लोग ठीक होने के विश्वास से यहां आते हैं।
साधु और अघोरी की भूमिका
काला जादू या वशीकरण हटाने की पूजा साधु और अघोरियों द्वारा की जाती है। साधु और अघोरी हमेशा मंदिर परिसर में मौजूद रहते हैं। मान्यता है कि इन अघोरियों को दस महाविद्याएं ज्ञात हैं। पूजा में काले जादू के कष्टों का समाधान शामिल है। देखकर आप कह सकते हैं कि कामाख्या देवी का मंदिर समस्या का इलाज करने के लिए है, न कि मानवता के खिलाफ विद्याओं का उपयोग करने के लिए। यहां के साधू लोगों को बुरी आत्माओं से दिलाने में मदद करते हैं। मंदिर के आसपास बैठने वाले साधुओं को भी सिद्धियां और शक्तियां प्राप्त हैं।
होते हैं अनुष्ठान
कामाख्या देवी मंदिर में होने वाले अनुष्ठानों का महत्वपूर्ण हिस्सा पशु बलि है। देवी कामाख्या को प्रसन्न करने के लिए अक्सर बकरे और भैंसों की बलि दी जाती है। बस हां यहां मादा जानवर की बलि नहीं दी जाती।