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पोलैंड में आज भी चलता है दिग्विजय सिंह के नाम से स्कूल, जानिए इतिहास में छिपा राज

Editor Editor
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रूस लगातार यूक्रेन पर हमला करता जा रहा है। यूक्रेन में फंसे भारतीय बच्चों को मोदी सरकारऑपरेशन गंगाके तहत लेकर आ रही है। वही पोलैंड ने यूक्रेन में फंसे भारतीयों के लिए वीजा मुफ्त देने की घोषणा की है। लेकिन पोलैंड ने भारत के प्रति इतना बड़ा फैसला क्यों लिया, पोलैंड आखिर भारत पर इतना महरबान क्यों है। इसके पीछे कई सालों पहले के इतिहास में एक राज छुपा हुआ है। इसके लिए हमे इतिहास के पन्नों को पलटना होगा।

दरअसल, पोलैंड ने गुजरात के जामनगर के राजा रहे दिग्विजय सिंह का कई सालों पहले का कर्ज चुकाने के लिए यह बड़ा फैसला लिया है। 3 सितंबर 1942 में हिटलर ने पोलैंड पर आक्रमण करके दूसरे विश्वयुद्ध की शुरूआत की थी। जब युद्ध भयानक स्तर पर पहुंच गया था तो पोलैंड के सैनिकों ने पोलैंड की करीब 500 महिलाओं और करीब 200 बच्चों को जहाज में बैठाकर जहाज के कैप्टन से कहा की इन सभी लोगों को ऐसे देश में छोड़ दो, जो इन्हें शरण दे। अगर हम बचे रहे तो दुबारा मिलेंगे। इसके बाद जहाज समुद्री रास्ते से सभी को लेकर ईरान के सिराफ बंदरगाह पहुंचा।

पोलैंड का पोलिश शिव जब सभी को लेकर ईरान के सिराफ पहुंचा तो ईरान सरकार ने उन्हें शरण देने से साफ इनकार कर दिया और उन्हें वहां से चले जाने का कहा। इसके बाद जहाज सेशेल्स पहुंचा तो वहां भी उन्हें शरण देने से इनकार कर दिया। इसके बाद जहाज समुद्र में भटकते हुए गुजरात के जामनगर तट पर पहुंचा। उस दौर में जामनगर के राजा जाम साहब दिग्विजय सिंह हुआ करते थे।

दिग्विजय सिंह ने पोलैंड के लोगों को न केवल शरण दी, बल्कि उन्होंने अपना एक राजमहल उन्हें रहने के लिए दे दिया। इतना ही नहीं राजा साहब ने बालाचढ़ी के सैनिक स्कूल में बच्चों की शिक्षा की भी व्यवस्था की। बताया जाता है कि पोलैंड के शरणार्थी जामनगर में करीब 9 साल तक रहें।

गुजरात के जामनगर में पोलैंड शरणार्थियों के वंशज आज भी आते हैं। राजा दिग्विजय सिंह की इस मद्द के चलते पोलैंड सरकार ने राजधानी वारसॉ की कई सड़ाकों का नाम महाराजा जाम साहब के नाम पर रखा। इतना ही नहीं पोलैंड सरकार में कई योजनाएं राजा साहब के नाम पर चलती हैं। पोलैंड में महाराजा जाम साबह का इतना रूतवा है कि पोलैंड के अखबरो में उनके लेख छपते है।

पोलैंड के तत्कालीन प्रधानमंत्री व्लादिस्लॉ सिरोर्स्की ने एक बार जब जाम साहब से पूछा था आपने हमारी इतनी मदद की है, इसके बदले में हम आपकों क्या दे सकते है। तो तब महाराज जाम साहब ने कहा कि वह पोलैंड में उनके नाम से एक स्कूल खुलवा दें। बता दें कि आज भी पोलैंड में जाम साहब दिग्विजय सिंह के नाम से स्कूल है।

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