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वैश्विक डिफेंस मार्केट में तेजस खरे सोने की तरह चमक रहा है, कारण जान लीजिए

Editor Editor
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जो भारत कभी केवल हथियारों के आयात के लिए ही जाना जाता था। आज वह विश्व में न केवल बेहतरीन और अद्वितीय हथियारों का निर्माता बनकर उभर रहा है। बल्कि सैन्य हथियारों के निर्यातक के रूप में भी अपनी पहचान बना रहा है। 5 अगस्त 2022 को लोकसभा बैठक में सरकार ने सूचित किया कि मलेशिया भारत से 18 तेजस लड़ाकूविमान खरीद रहा है।साथ ही 6 अन्य देशों- अमेरिका, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, मिस्र, इंडोनेशिया और फिलीपींस ने भी इस हल्के लड़ाकू विमान(एलसीए) की खरीद में रुचि दिखाईहै।

क्यों चाहता है मलेशिया भारत का तेजस?
मलेशियाई वायु सेना लम्बे समय से 18 नए हल्के लड़ाकू विमानों की तलाश कर रहा है और उसकी इस तलाश में भारतीय तेजस एक शीर्ष दावेदार के रूप में उभरा है। मलेशिया के लिए लड़ाकू विमान की इस बोली में भारत के अलावा दक्षिण कोरिया और चीन भी दावेदार थे। चीन ने अपनी ओर से JF 16 को इस बोली में उतारा था और हालाँकि चीन के लड़ाकू विमान की कीमत भारतीय तेजस से कम थी लेकिन फिर भी तेजस की खूबियों और उत्कृष्टता को देखते हुए मलेशिया ने चीनी जेट को दरकिनार कर तेजस को चुना।

तेजस का सफर
1983 में, भारत सरकार ने पुराने IAFलड़ाकूओं विमानों, विशेष रूप से मिग -21 वेरिएंट, को बदलने के लिए एक नया हल्का लड़ाकू विमान विकसित करने के लिए प्रारंभिक लक्ष्य रखा और फिर यहीं से तेजस का सफर शुरू हुआ। 1990 के उस दशक में भारतीय वायु सेना के अधिकांश लड़ाकू विमान पुराने और सेवानिवृत होने की ओर थे। ऐसे में 1995 तक, IAF में आवश्यकता से 40 प्रतिशत कम विमान बचने की संभावना थी। वायु सेना में लड़ाकू विमानों की इस कमी को पूरा करने के लिए सरकार ने स्वदेशी लड़ाकू विमान बनाने का निर्णय लिया।

सालों की कड़ी मेहनत के बाद आखिरकार जनवरी 2001 को पहली बार इस स्वदेशी फाइटर जेट ने अपनी पहली उड़ान भरी। 2003 में, तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने ही इस फाइटर जेट को आधिकारिक तौर पर‘तेजस’नाम दिया। तेजस एक संस्कृत शब्द है, जिसका मतलब है‘चमक और प्रकाश’।15 दिसंबर 2009 में भारत सरकार ने भारतीय वायु सेना और भारतीय नौसेना के लिए लड़ाकू जेट का उत्पादन शुरू करने के लिए 80 अरब रुपये की मंजूरी दी। आखिरकार वर्ष 2016 मेंभारतीय वायु सेना के स्क्वाड्रनमें तेजस को शामिल किया गया।

जब भारत के तेजस से घबराया पाकिस्तान
वर्ष 2016 में बहरीनइंटरनेशनल एयरशो में भाग लेने जबतेजस पहुंचा तो वह भारत के लिए एक ऐतिहासिक पल था। केवल इसलिए नहीं कि पहली बार भारत में निर्मित यह जेट विदेशी मंच पर जा रहा था बल्कि इसलिए भी कि शो में तेजस की उपस्थिति दर्ज होते ही पाकिस्तान ने चीन के साथ मिलकर बनाया अपना जेएफ -17 थंडर फाइटर को शो से वापस ले लिया।

पाकिस्तान नहीं चाहता था कि भारतीय तेजस की तुलना JF 17 से हो क्योंकि वह इस बात से भली भाँति परिचित था कि उनका निर्मित जेट तेजस का मुकाबला नहीं कर सकता। पकिस्तान ने मुकाबला करने से पहले ही हार मान ली थी। इस ऐरो शो से पीछे हटने के लिए उन्हें बहरीन के अधिकारियों को भारी जुर्माना देना पड़ा था। यह भारत के लिए एक बहुत बड़ी जीत थी क्योंकि तेजस चीनी जेएफ-17 से कहीं बेहतर था। न केवल प्रदर्शन में बल्कि हर पहलू में।

क्यों ख़ास है तेजस?
एलसीए तेजस हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड(एचएएल) द्वारा भारत में विकसित और निर्मित यह स्वदेशी लड़ाकू विमान रूस के सुखोई लड़ाकू जेट की तुलना में काफी हल्का है।

तेजस आठ से नौ टन भार ढोने में पूरी तरह सक्षम है। यह सुखोई जितने हथियारों और मिसाइलों के साथ उड़ सकता है, जिसका वजन इससे अधिक है।

तेजस के कम वजन के बावजूद इसकी गति बेजोड़ है। ये विमान 52,000 फीट की ऊंचाई पर ध्वनि की गति से तेज उड़ने की ताकत रखते हैं।

इसमें कई नवीनतम उपकरण होने के कारण तेजस मार्क-1 ए सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमान से भी महंगा है। इसमें इज़राइल विकसित रडार लगाया गया है। साथ ही स्वदेशी रूप से विकसित एक अन्य रडार भी इसमें मौजूद है। इस वजह से तेजस एक साथ 10 लक्ष्यों को ट्रैक कर उन पर निशाना साधने में सक्षम है।

तेजस, बेहद कम जगह यानी  460 मीटर के रनवे पर टेकऑफ करने की क्षमता रखता है।

यह न केवल दूर से ही दुश्मन के विमानों को निशाना बनाने की ताकत रखता है बल्कि दुश्मन के राडार को चकमा देने की क्षमता भी रखता है।
तेजस में हवा से हवा में ईंधन भरा जा सकता है।

साथ ही इसमें हवा से जमीन पर मार करने वाले हथियार और विजुअल रेंज मिसाइलों को भी लोड किया जा सकता है। तेजस पर ब्रह्मोस मिसाइल भी लोड की जा सकती है। एस्ट्रा बियॉन्ड विजुअल रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल और R-73, Python-5 और ASRAAM क्लोज कॉम्बैट मिसाइलें भी तेजस पर तैनात की जा सकती हैं। एकल इंजन वाला यह विमान पूरी तरह से हथियारबंद हल्का लड़ाकू विमान है।

भारतीय तेजस की इन क्षमताओं ने फ्रांस और अमेरिका जैसे बड़े सैन्य निर्माताकों का ध्यान अपनी ओर खींचा है और यह भारत के लिए बहुत ही गौरवान्वित करने वाला पल है।

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