Sanjay Dutt:
Sanjay Dutt बॉलीवुड के सबसे सफल अभिनेताओं में से एक हैं। हालांकि, उन्होंने अपनी प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ में कई उतार-चढ़ाव भी देखे हैं।
संजय दत्त ने अपने जीवन के सबसे कठिन दौर को उस समय जिया जब वह यरवदा जेल में थे। अब एक पूर्व आईपीएस अधिकारी ने उनके जेल के दिनों के बारे में खुलासा किया है और बताया है कि उन्होंने वहां कैसे अपने दिन गुजारे…
अभिनेता को उस समय कठिन दौर से गुजरना पड़ा, जब उन्हें जेल में समय बिताना पड़ा था। अब एक पूर्व आईपीएस अधिकारी ने अभिनेता के सलाखों के पीछे बिताए समय के बारे में खुलासा किया है।
जब संजय दत्त को दोषी ठहराया गया। तब पूर्व आईपीएस अधिकारी मीरान चड्ढा बोरवंकर अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक भी जेल में मौजूद थे।
IPS Officer Reveals About Sanjay Dutt:
एक इंटरव्यू मे पूर्व आईपीएस अधिकारी ने उन दावों का खंडन किया कि अभिनेता Sanjay Dutt को जेल में विशेष सुविधाएं मिली थी। उन्होंने यह भी कहा कि जेल में संजय के साथ अच्छा व्यवहार किया गया। उनके साथ सब वैसे ही पेश आए जैसे बाकी कैदियों के साथ आते थे।
आईपीएस अधिकारी ने आगे कहा कि जेल में किसी भी कैदी के साथ कैसे व्यवहार करना है यह उसके अपने व्यवहार पर निर्भर करता था।
जो अपना काम समय से करता था और सबकी इज्जत करता था, उसके साथ समान व्यवहार किया जाता था। संजय दत्त काम भी करते थे। बीड़ी और सिगरेट भी खरीद लेते थे।
About Sanjay Dutt:
Sanjay Dutt बॉलीवुड के सबसे पॉपुलर एक्टर्स में शुमार हैं। वह अपनी निजी जिंदगी में उतार-चढ़ाव के कई दौर देखने वाले एकलौते स्टार भी देखे हैं।
संजय दत्त का नाम सामने आते ही उनके जीवन से जुड़े सारे वाकये भी याद आने लगते हैं। उन्हों उस समय कठिन दौर से गुजरना पड़ा जब उन्हें जेल में अपनी रातें काटनी पड़ीं।
अब एक पूर्व आईपीएस अधिकारी ने यह खुलासा किया है कि सलाखों के पीछे बिताए समय में संजय दत्त किस तरह दिन काट रहे थे।
Sanjay Dutt को नहीं मिला खास ट्रीटमेंट
Sanjay Dutt को जिस समय सलाखों के पार जाना पड़ा तब पूर्व आईपीएस अधिकारी मीरान चड्ढा बोरवंकर अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (जेल) थे।
साइरस ब्रोचा के पॉडकास्ट पर उन्होंने उन दावों का खंडन किया कि अभिनेता को जेल में स्पेशल ट्रीटमेंट मिला था। उन्होंने यह भी कहा कि जेल में दत्त के साथ अच्छा व्यवहार किया गया।
उन्होंने बताया, “वह आम तौर पर अच्छा था क्योंकि उसकी पैरोल जेल में उसके व्यवहार पर निर्भर थी। अगर उसने व्यवहार नहीं किया होता, तो हम उसे पैरोल की अनुमति नहीं देते।
काम भी करता था, बीड़ी और सिगरेट भी खरीद लेता था। कुल मिलाकर, उसे एहसास हो गया था कि यहां उसका व्यवहार बेहतर है।”
अपने एनकाउंटर को लेकर Sanjay Dutt परेशान थे
बोरवंकर ने अपनी किताब में उस समय के बारे में लिखा है जब दत्त को आर्थर रोड जेल से पुणे की यरवदा जेल में स्थानांतरित किया जाने वाला था और वह मुठभेड़ में मारे जाने को लेकर चिंतित थे।
उन्होंने लिखा है, “Sanjay Dutt को डर था कि वह रास्ते में किसी मुठभेड़ में मारा जाएगा! उनका डर इतना वास्तविक था कि उन्हें पसीना आने लगा और उन्होंने बुखार होने की शिकायत की।
खबर लीक होने के बाद स्थानांतरण रद्द कर दिया गया। बाद में दत्त को एक मुठभेड़ के बारे में उनकी गलत धारणा के बारे में सलाह दिए जाने के बाद जेल में ट्रांसफर कर दिया गया।”
Sanjay Dutt’s Workfront:
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