2 फुटबॉल ग्राउंड जितना लंबा रनवे, आधे कोच्चि को बिजली देने में सक्षम; जानें आईएनएस विक्रांत के बारे में सबकुछ

भारतीय नौसेना को शुक्रवार को अपना पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रांत (INS Vikrant ) मिल गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने कोच्चि शिपयार्ड में करीब डेढ़ घंटे चली कमिशनिंग सेरेमनी में ये एयरक्राफ्ट कैरियर नेवी को सौंपा. साथ ही एक और बड़ा बदलाव हुआ. नेवी (Indian Navy) को नया नौसेना ध्वज सौंपा गया. इसमें से अंग्रेजों की निशानी क्रॉस का लाल निशान हटा दिया गया है. अब इसमें तिरंगा और अशोक चिह्न है, जिसे PM मोदी ने महाराज शिवाजी को समर्पित किया.
भारत के पास अब ऐसा सबसे बड़ा स्वदेशी युद्धपोत है, जो 20 मिग-29 फाइटर जेट्स ले जाने में सक्षम है. इसकी लागत करीब 20 हजार करोड़ रुपये है. 1971 की जंग में INS विक्रांत ने अपने सीहॉक लड़ाकू विमानों से बांग्लादेश के चिटगांव, कॉक्स बाजार और खुलना में दुश्मन के ठिकानों को तबाह किया था. 25 साल पहले इसे रिटायर कर दिया गया था, लेकिन 1999 की कारगिल जंग के बाद हमें स्वदेशी एयरक्राफ्ट की जरूरत पड़ी. 2009 में इसका निर्माण शुरू हुआ. 500 कंपनियां जुटीं और इसे पूरा कर दिखाया.
आइए जानते हैं आईएनएस विक्रांत के बारे में सबकुछ…
विक्रांत नाम क्यों?
जहां तक शब्द की उत्पत्ति की बात है, संस्कृत शब्द विक्रांत में ‘वी’ उपसर्ग कुछ ऐसा दर्शाता है जो विशिष्ट या असाधारण है. ‘क्रांत’ प्रत्यय का अर्थ है एक दिशा में आगे बढ़ना या आगे बढ़ाना. भारतीय नौसेना ने कहा, “विक्रांत को शामिल करना और उनका पुनर्जन्म न केवल हमारी रक्षा तैयारियों को मजबूत करने की दिशा में एक और कदम है, बल्कि 1971 के युद्ध के दौरान राष्ट्र की स्वतंत्रता और हमारे बहादुर सैनिकों के लिए हमारे स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा किए गए बलिदानों को भी हमारी विनम्र श्रद्धांजलि है.”
आईएनएस विक्रांत कितना बड़ा है?
विक्रांत की लंबाई 262 मीटर है, जो दो फुटबॉल मैदानों से अधिक है. इसकी चौड़ाई 62 मीटर है. इसमें 14 डेक में 59 मीटर पैक की ऊंचाई और पोत में 2,300 से अधिक डिब्बे हैं. 1600 कर्मियों के दल के लिए जगह है. इसमें महिला अधिकारियों के लिए विशेष केबिन शामिल हैं.
इसे कैसे बनाया गया था?