ना गले मे चेन, ना वो कैप, मोबाइल भी टूटा हुआ, पैसे की तंगी में पहचान भी नहीं आया क्रिकेट का सितारा

ना गले मे चेन, ना वो कैप, मोबाइल भी टूटा हुआ, पैसे की तंगी में पहचान भी नहीं आया क्रिकेट का सितारा

आज इस आर्टिकल में आपको क्रिकेट के दो चेहरे और दो पक्ष नजर आएंगे। दोनों ही खिलाड़ी मुंबई के हैं, एक का नाम है सचिन तेंदुलकर और दूसरे हैं विनोद कांबली। दोनों की दोस्ती बचपन से है और शायद अब तक अभी तक कायम भी होगी। दोनों ने एक साथ क्रिकेट सीखा, भारतीय टीम में भी साथ में कुछ समय तक खेला, लेकिन सचिन बहुत आगे चले गए और विनोद कांबली का समय मानो वही थमकर रह गया। यह खिलाड़ी इंटरनेशनल क्रिकेट में कुछ खास नहीं कर पाया और बाद में गुमनाम गली में कहीं खोकर रह गया।

शायद क्रिकेट के किसी भी फैन को दुख होगा कांबली को हम एक ऐसे मस्त मौला खिलाड़ी के तौर पर जानते थे जिसमें गंभीरता अपने दोस्त सचिन की तुलना में भले ही थोड़ी कम रही लेकिन प्रतिभा की कोई कमी नहीं थी। हालांकि वह प्रतिभा 22 गज की पिच पर वह रंगत नहीं दिखा पाई जिसके हकदार कांबली थे और आज उनकी जो स्थिति है वह सुनकर शायद क्रिकेट के किसी भी फैन को दुख होगा।

बाएं हाथ का यह स्टाइलिश बल्लेबाज आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रहा है जहां उसकी जिंदगी का गुजारा केवल बीसीसीआई के द्वारा मिल रही पेंशन से हो रहा है।

केवल 30 हजार रुपये प्रतिमाह से मुंबई में गुजारा पेंशन की रकम को जानकर भी आप हैरान रह जाएंगे क्योंकि यह केवल 30 हजार रुपये प्रतिमाह है और कांबली को मुंबई जैसे शहर में अपनी एक लाइफस्टाइल मेंटेन करनी है जिसके लिए यह रकम ऊंट के मुंह में जीरा के समान ही है। सचिन का जिगरी दोस्त आज पैसे-पैसे का मोहताज है और अपनी आजीविका चलाने के लिए अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए क्रिकेट से जुड़ा कोई भी काम करने के लिए तैयार है। मिड-डे अखबार में छपी खबर बताती है कि 50 साल का यह खिलाड़ी आज पहचान में भी नहीं आता है।

ना गले मे चेन, ना वो कैप, मोबाइल भी टूटा हुआ इसी अखबार से पता चला कि विनोद कांबली मंगलवार को एक कॉफी शॉप में बैठे हुए थे और अपने शौकीन स्टाइल से बहुत दूर एक साधारण, मुरझाए इंसान रहे थे। ना उनके गले में सोने की चेन थी, ना उनकी स्टाइलिश कैप थी और ना ही वह कपड़े थे जिसके लिए हम कांबली को जानते हैं। इतना ही नहीं उनके मोबाइल फोन की स्क्रीन तक टूटी हुई थी। कांबली अपनी कार से भी नहीं आ जा पा रहे हैं और उनको क्लब तक आने के लिए भी अपने दोस्त की कार मांगनी पड़ती है।

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