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मारुति बंद कर सकती है ऑल्टो, एस-प्रेसो, स्विफ्ट जैसी छोटी कारें; नितिन गडकरी के फैसले से है नाराज

Editor Editor
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मारुति सुजुकी अपनी ऑल न्यू ब्रेजा 30 जून को लॉन्च करने वाली है। ये कॉम्पैक्ट SUV लॉन्चिंग से पहले जमकर सुर्खियां बटोर चुकी है। वहीं, बुकिंग शुरू होने के पहले ही दिन इसे 4500 बुकिंग मिल गईं। SUV सेगमेंट में अपनी पहचान बनाने के लिए मारुति ने पूरी तैयार की है। हालांकि, इस बीच कंपनी ने अपनी छोटी हैचबैक को लेकर बड़ा बयान दिया है।

कंपनी के चेयरमैन आर सी भार्गव ने कहा है कि सरकार की पॉलिसी का असर उसकी छोटी कारों पर पड़ रहा है। ऐसे में कंपनी उन्हें बंद करने में संकोच नहीं करेगी। दरअसल, हर कार में 6 एयरबैग के नियम के चलते मारुति की सस्ती हैचबैक आम लोगों के बजट के बाहर चली जाएगी। ऐसे में कंपनी इन्हें बंद करने पर भी विचार कर सकती है।

छोटी कारों का बड़ा खिलाड़ी है मारुति
देश में सबसे ज्यादा कार बेचने वाली कंपनियों में मारुति पहले नंबर पर है। देखा जाए तो हर महीने उसमें और दूसरी टॉप कंपनी के बीच 50% से ज्यादा का अंतर होता है। इस अंदर के पीछे मारुति की छोटी हैचबैक कारों का डिमांड का होना है। इन दिनों मारुति वैगनआर, स्विफ्ट, सेलेरियो, ऑल्टो, एस-प्रेसो की हाई डिमांड है। कंपनी की कुल बिक्री में ये 5 मॉडल 60 से 70% तक रेवेन्यू देते हैं। हालांकि, इन सभी मॉडल के बेस वैरिएंट में सिर्फ 2 एयरबैग ही मिल रहे हैं। ऐसे में यदि इनके बेस वैरिएंट में 6 एयरबैग लगाए गए तो 60 हजार रुपए तक कीमत बढ़ जाएगी।

2020 में 13,000 लोगों की जान बच जाती
गडकरी ने ये भी कहा कि कुछ ऑटोमोबाइल कंपनियां कारों में 6 एयरबैग अनिवार्य करने के नियम का लगातार विरोध कर रही हैं, जिसे सिर्फ लोगों की जान बचाने के लिए प्रस्तावित किया गया है। गडकरी ने मार्च में संसद को 6 एयरबैग के प्रस्ताव की घोषणा करते हुए बताया था कि 6 एयरबैग लगाने से 2020 में 13,000 लोगों की जान बचाई जा सकती थी। उन्होंने ये भी कहा कि जब देश में लगातार व्हीकल तेजी से बिकते हैं तब ये और भी जरूरी हो जाता है कि सड़कें ज्यादा सुरक्षित हों। अभी भारत के पास दुनियाभर की तुलना में बमुश्किल 1% व्हीकल हैं, लेकिन देश में सड़क एक्सीडेंट से होने वाली मौतों में दुनिया की तुलना में 10% ज्यादा है।

भारत NCAP अनिवार्य नहीं हो: भार्गव
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने भारत NCAP (न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम) शुरू करने को मंजूरी दे चुके हैं। यानी अब भारत में तैयार होने वाली कारों को देश के बाहर क्रैश टेस्ट कराने या सेफ्टी रेटिंग के लिए नहीं जाना होगा। बल्कि हमारे यहां पर ही क्रैश टेस्ट और सेफ्टी रेटिंग दी जाएगी। हालांकि, मारुति सुजुकी के चेयरमैन आर सी भार्गव ने कहा है कि भारत NCAP टेस्ट को अनिवार्य नहीं किया जाना चाहिए। उनका मानना है कि भारत का बाजार यूरोप से एकदम अलग है। यूरोप में क्रैश टेस्ट रेटिंग एक बेंचमार्क है, जबकि हमारे यहां ये बेंचमार्क सिस्टम सिर्फ अमीर लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए है।

दरअसल, अभी देश के ऑटोमेकर ग्लोबल NCAP द्वारा कार का क्रैश टेस्ट कराते हैं। जिसके बाद उनकी सेफ्टी के आधार पर स्टार रेटिंग दी जाती है। दुनियाभर में कारों के क्रैश टेस्ट को यूरो NCAP, आसियान NCAP, ग्लोबल NCAP, ऑस्ट्रेलियन NCAP, जापान NCAP, लेटिन NCAP, कोरिया NCAP, चीन China NCAP, USA के लिए IIHS कर रही हैं। अब इस लिस्ट में नया नाम भारत NCAP का शामिल हो गया है।

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