Makar Sankranti 2024 , भारतीय हिन्दू पंचांग में सुनसान मास माघ के महीने को सूर्यास्त के समय को दर्शाते हुए मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्योहार है। यह पर्व हिन्दू धर्म में सूर्य देवता की पूजा और आच्छादन के रूप में मनाया जाता है। इसे विभिन्न भागों में मकर संक्रांति, पोंगल, उत्तरायण, लोहड़ी, बिहू, तिल संक्रांति, मघुसंक्रांति, माघी, खिचड़ी, खिचरी और गाघरा पर्व के नाम से भी जाना जाता है। मकर संक्रांति का उत्सव सूर्य देवता की पूजा के रूप में भी मनाया जाता है। इसे सूर्य ग्रहण के समय के रूप में भी जाना जाता है, जो सूर्य के सम्पूर्ण अंश को दिखाता है।
Makar Sankranti 2024 त्योहार की तारीख और समय:
Makar Sankranti 2024 का आयोजन 14 जनवरी को होता है, जब सूर्य देवता मकर राशि में प्रवेश करते हैं। यह दिन हिन्दी पंचांग के अनुसार बहुत्वारियों के संक्रमण को दर्शाता है और मकर संक्रांति के बाद से ही सूर्य ग्रहण की अवधि शुरू होती है, जिसे मकर संक्रांति एक महत्वपूर्ण दिन बनाती है। इस समय भारतवर्ष में शीत ऋतु का प्रारंभ होता है और उत्तर गोलार्ध में दिन का समय बढ़ता है।
Makar Sankranti 2024 का महत्व:
Makar Sankranti 2024 आर्गनिक सृष्टि का पुनर्निर्माण: मकर संक्रांति का आयोजन उत्तरायण के समय होता है, जिससे पृथ्वी पर आर्गनिक सृष्टि का पुनर्निर्माण होता है। इस समय बारिश और ऋतुओं का परिवर्तन होता है और नई ऊर्जा का संचार होता है।
Makar Sankranti 2024 प्राकृतिक संतुलन:
दान एवं पुण्य का महत्व: इस दिन दान और पुण्य का महत्व बढ़ता है। लोग अपनी दुश्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए धन और सामग्री दान करते हैं, जिससे सामाजिक समृद्धि होती है और दरिद्रता को कम किया जा सकता है। यह एक सामाजिक संस्कृति में साजग मौका है जिसे मनाकर लोग एक दूसरे के साथ आत्म-निर्भरता और मेहनत की महत्वपूर्णता को समझते हैं। मकर संक्रांति का उत्सव भारतवर्ष के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है, लेकिन एक समान्य धारोहर है जो इसे एक महत्वपूर्ण और आनंदमय उत्सव बनाता है।
Makar Sankranti 2024 का इतिहास:
Makar Sankranti 2024 का पर्व हिन्दू धर्म में वैदिक साहित्य के अनुसार हजारों वर्षों से मनाया जा रहा है। यह पर्व सूर्य के प्रति भक्ति का प्रतीक है और इसे विभिन्न नामों से जाना जाता है जैसे- मकर संक्रांति, उत्तरायण, माघी, लोहड़ी, बिहू, पोंगल, गाघरा पर्व, मघा महोत्सव, तिल संक्रांति, खिचड़ी, खिचरी, और सक्रांति आदि। मकर संक्रांति के आस-पास के समय में पृथ्वी का पूरी तरह से आपदा मुक्त होना शुरू होता है, जिससे प्राकृतिक संतुलन में सुधार होता है। मकर संक्रांति को पुण्यकाल माना जाता है, और इस दिन लोग गंगा, यमुना, सरस्वती, गोदावरी, कावेरी, नर्मदा, ब्रह्मपुत्र, आदि नदियों में स्नान करते हैं। स्नान से मानव शरीर को नई ऊर्जा प्राप्त होती है और यह एक साधना है अपने पूर्वजों का आभास करने का।
Makar Sankranti 2024 पुण्य स्नान:
Makar Sankranti 2024 को पुण्यकाल माना जाता है, और इस दिन लोग गंगा, यमुना, सरस्वती, गोदावरी, कावेरी, नर्मदा, ब्रह्मपुत्र, आदि नदियों में स्नान करते हैं। स्नान से मानव शरीर को नई ऊर्जा प्राप्त होती है और यह एक साधना है अपने पूर्वजों का आभास करने का।
Makar Sankranti 2024 तिल-गुड़ खाना:
Makar Sankranti 2024 पर तिल और गुड़ की मिठाईयों को खाना परंपरागत रूप से माना जाता है। तिल का खासतरीका यह है कि यह शीतल गुणों से भरपूर होता है और इसे सर्दीयों में खाना सेहत के लिए फायदेमंद है। गुड़ की मिठाई बनाने के लिए खासतरीके से खुदाई जाती है, जिससे किसानों को भी आशीर्वाद मिलता है।
यह भी पढ़ें :
पीला से हरा, Makar Sankranti के उत्सव के लिए सेलिब्रिटी-प्रेरित पोशाक देखें।