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यंहा पेड़ से प्रकट होकर भक्तो को दर्शन देते है महाबली हनुमान, शनि देव के प्रकोप से मिलती है मुक्ति

admin
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कलियुग में हनुमान जी की उपासना कल्याणकारी मानी गई है। हनुमान जी को कलयुग के देवता माना जाता है। मान्यताओं अनुसार कहा जाता है, कि कलयुग के समस्त पापों का नाश करने के लिए और जीवन की कठिनाइयों को दूर करने के लिए हनुमान जी की उपासना करना कल्याणकारी होता है। राम भक्त हनुमान की पूरी दुनिया में कई मंदिर हैं। जहां इनके दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है।

लेकिन आज हनुमान जी के जिस मंदिर के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं, वह हनुमान जी का बहुत ही खास मंदिर है जो मिर्जापुर के विंध्याचल पर्वतों के पास स्थित बंधवा हनुमान मदिर है। जहां आने वाले लोगों की आस्था बहुत खास है। तो आइये जानते है, इससे जुडी कुछ ख़ास बाते।

इस मंदिर में स्थित हनुमान जी की यह प्रतिमा यहां कब से है कोई नहीं जानता, लेकिन श्रद्धालुओं का मानना है कि बाल रूप में हनुमान जी सबसे पहले यहां एक वृक्ष से प्रकट हुए थे। यहां आने वाले श्रद्धालु मानते हैं कि हनुमान जी यहां बालक रूप में प्रकट हुए थे। इसी त्रिकोण यात्रा के दौरान बाबा बंधवा हनुमान जी के दर्शन किए जाते हैं। और इसी मंदिर के दर्शन मात्र से ही इस धाम की यात्रा पूरी होती है।

यहां स्थित हनुमान जी प्रतिमा को बहुत पुराना बताया जाता है, जिसके बारे में यहां के लोगों का कहना है कि यहां मौजूद हनुमान जी प्रतिमा का आकार भी धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है। यह प्रतिमा कितनी पुरानी है यह जानकारी कहीं नहीं मिलती है। इस हनुमान मंदिर में विशेष रूप से अधिकतर भक्त शनिदेव के प्रकोप से बचने के लिए आते हैं।

मान्यताओं के अनुसार, शनिवार के दिन जो भी भक्त बंधवा हनुमान की शरण में आकर लड्डू, तुलसी और फूल हनुमान जी को अर्पित करते हैं उन पर से साढ़ेसाती का प्रभाव कम होने लगता है। जिससे व्यक्ति को हनुमान जी की कृपा मिलती है। इस मंदिर में बंधवा हनुमान जी बाल रूप में विराजमान हैं और इनका स्वरूप भी बच्चों जैसा ही है। कष्टों से मुक्ति दिलाने वाले बाल रूप में यहां हनुमान जी लोगों की आस्था का खास केन्द्र हैं।

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