कनाडा में देह व्यापार करके पढ़ाई का खर्च उठा रही हैं भारतीय मूल की लड़कियां, ऑनलाइन होता है सारा काम
कनाडा में पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए शर्मनाक काम कर रही है भारतीय मूल की लड़कियां: ग्रेटर टोरंटो एरिया (जीटीए) में भारतीय अंतरराष्ट्रीय छात्र तेजी से दलालों और ड्रग डीलरों के शिकार हो रहे हैं। और सबसे बुरी बात यह है कि उनका शोषण ज्यादातर उनके अपने भारतीय-कनाडाई समुदाय के लोग कर रहे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक जीटीए के हालात इस कद्दर खराब हो चले हैं कि भारतीय मूल की लड़कियों को अपनी पढ़ाई का र्खचा उठाने के लिए देह व्यापार के लिए मजबूर किया जा रहा है। अगस्त में ब्रैम्पटन से तीन भारतीय-कनाडाई युवकों की देह व्यापार में 18 वर्षीय लड़की की तस्करी के आरोप में गिरफ्तारी इस बात का सबूत है कि जीटीए में भारतीय छात्राओं का यौन शोषण तेजी से बढ़ रहा है। इस विशेष मामले में भारतीय मूल की लड़की को तीन लोगों ने बंदी बना लिया और देह व्यापार में इधर-उधर ले जाया जा रहा था। इन आरोपियों के और भी शिकार हो सकते हैं क्योंकि वे ऑनलाइन यौन सेवाओं का विज्ञापन दे रहे थे।
गर्भपात करवाने वाली छात्राओं की संख्या में वृद्धि: मानव तस्करी के खिलाफ लड़ाई में सबसे आगे भारतीय-कनाडाई सामाजिक कार्यकर्ता स्वीकार करते हैं कि जीटीए और उसके बाहर भारत की छात्राओं का यौन शोषण बढ़ रहा है। गर्भपात करवाने वाली छात्राओं की संख्या में वृद्धि की भी खबरें हैं। एक रिपोर्ट में ब्रैम्पटन की रहने वाली एक बुजुर्ग इंडो-कनाडाई कहते हैं कि हमारे परिवार की एक परिचित नर्स ने बताया कि वह हर महीने 10-12 गर्भपात करती हैं जिसमें भारतीय छात्राएं शामिल होती हैं। दुर्भाग्य से, यह भी एक ज्ञात तथ्य है कि बहुत से छात्र अपने खर्च का भुगतान करने के लिए स्वेच्छा से देह व्यापार में प्रवेश कर रहे हैं। समस्या यह भी है कि इनमें से अधिकतर लड़कियां अपने जीवन में पहली बार अपने परिवार से दूर हैं और वे स्वतंत्र महसूस करती हैं।
अंतरराष्ट्रीय छात्रों में 90 प्रतिशत लड़कियां टोरंटो स्थित एलस्पेथ हेवर्थ सेंटर फॉर विमेन की कार्यकारी निदेशक सुंदर सिंह महिलाओं के शोषण के खिलाफ लड़ाई में सबसे आगे हैं। वह बताती हैं कि विशेष रूप से भारत से छात्राओं का बढ़ता यौन शोषण हमारे लिए चिंता का एक नया क्षेत्र है। सिंह कहती हैं कि वह और उनके कर्मचारी मानव तस्करों द्वारा महिलाओं का शोषण करने के मामलों को सक्रिय रूप से ट्रैक करते हैं और उन्हें एक नया जीवन फिर से शुरू करने में मदद करते हैं। सिंह के अनुसार शैक्षणिक परिसरों, गली-नुक्कड़, बस स्टॉप, कार्यस्थलों और यहां तक कि धार्मिक स्थलों पर भी दलाल अंतरराष्ट्रीय छात्राओं को अपना शिकार बना रहे हैं। यहां उल्लेखनीय यह है कि कनाडा आने वाले अंतरराष्ट्रीय छात्रों में 90 प्रतिशत लड़कियां हैं, और उनमें से ज्यादातर भारत के पंजाब राज्य से हैं।