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वैज्ञानिक भी नहीं माप पाए इसकी गहराई, जानिए महाभारत काल से जुड़ी रहस्यमई कुंड के बारे में….

Editor Editor
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दुनिया भर में कई सारी रहस्यात्मक जगह हैं, जिसे अभी तक वैज्ञानिक तो क्या कोई भी न समझ और सुलझा पाया है। इस रहस्यों को सुलझाने की तमाम कोशिशें भी की गई पर सुलझ नहीं पाया।वैज्ञानिक या शोधकर्ता जितनी बार भी इन रहस्यों के पीछे का सच जानने की कोशिश करते हैं, वो उतना ही उलझ जाते।

अपना भारत भी इन रहस्यमई जगहों की खान है। तो आज आपको ऐसी ही एक रहस्यमयी जगह के बारे में बताते है। असल में यह जगह एक कुंड है जिसे लोग भीम कुंड के नाम से पुकारते हैं।

यह भीम कुंड इतना गहरा है कि इसकी गहराई नापने में वैज्ञानिक और शोध्कर्ता असफल साबित हो रहे हैं। इसकी रहस्यमई गुथी को सुलझाने में सभी असमर्थ हैं। एक बार डिस्कवरी चैनल ने इसकी गहराई नापने के लिए तमाम उपकरण इस्तेमाल किए थे। इस प्रक्रिया में वैज्ञानिकों की टीम द्वारा इसकी जांच की गई थी, पर सफलता हाथ नहीं लगी।

इसके अलावे विदेशी वैज्ञानिकों ने कुंड की गहराई पता करने के लिए 200 मीटर पानी के अंदर तक कैमरा भेजा था, लेकिन फिर भी गहराई पता न चल सका। इस कुंड के बारे में यह मान्यता है कि इसका पानी गंगा की तरह बिल्कुल पवित्र है और यह कभी खराब नहीं होता है।

भीम कुंड मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले से लगभग 70 किलोमीटर दूर बाजना गांव में स्थित है। यह कुंड बहुत ही प्रसिद्ध है लोग इसे दूर दूर से देखने आते हैं। वहां के लोग मानते है कि इस कुंड का संबंध महाभारत काल से है।

इस कुंड की गहराई इतनी ज्यादा है कि इसे नापने के लिए लगाए गए तमाम तरीके असफल साबित हो गए हैं, लेकिन इसटी सटीक जानकारी किसी को नहीं मिल पाई।

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पौराणिक धर्मग्रंथों के हिसाब से महाभारत काल में द्यूत सभा के बाद जब पांडव अज्ञातवास पर थे, तब वे पानी की तलाश में यहां पहुंचे थे। पर इस जगह पर पानी का कोई साधन या स्त्रोत नहीं था। तो उस समय महारथी भीम ने अपनी गदा को जमीन पर मारकर यह कुंड बनाया था।

आपको बता दें इस कुंड की आकृति बिल्कुल गदा की तरह है। इस कुंड से जुड़ी एक और मान्यता है कि, जब भी देश पर कोई प्राकृतिक आपदा या संकट आता है, उससे पहले ही यहां का पानी बढ़ने लगता है। लोग कुंड के बढ़ते पानी के स्तर को देख खतरे का अंदाजा लगा लेते हैं।

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