अपने ही घर की सीढ़ियों पर रहने पर मजबूर है बुजुर्ग दंपत्ति, जानें क्या है घर किराये पर देने से जुड़ा अहम कानून

अपने ही घर की सीढ़ियों पर रहने पर मजबूर है बुजुर्ग दंपत्ति, जानें क्या है घर किराये पर देने से जुड़ा अहम कानून

भारत समेत दुनिया भर के विभिन्न देशों में लोग अपना मकान किराए पर देते हैं, जिसकी वजह से कई बार मकान मालिक और किरायेदार के बीच तीखी नोंक झोंक हो जाती है। ऐसे में मकान मालिक किरायेदार को घर खाली करने के लिए कहता है, जबकि किरायेदार महीना पूरा होने से पहले घर खाली करने से इंकार कर देता है।
इस स्थिति में बात कई बार हद से आगे बढ़ जाती है और ऐसा ही एक मामला ग्रेटर नोएडा से सामने आया है, जहाँ किरायेदार ने घर खाली करने से इंकार कर दिया था और इसके विरोध में मकान मालिक अपनी पत्नी के साथ फ्लैट की सीढ़ियों पर ही रहना शुरू कर दिया। ऐसे में सरकार ने मकान मालिक और किरायेदार के अधिकारियों को ध्यान में रखते हुए कुछ नियम बनाए हैं, ताकि दोनों पक्षों के बीच होने वाले विवाद को सुलझाया जा सके।

सीढ़ियों पर क्यों रह रहा है कपल?
दरअसल ग्रेटर नोएडा में जो दंपत्ति सीढ़ियों पर रहने पर मजबूर है, उन्होंने अपना फ्लैट एक महिला को किराए पर दिया था और वह मुंबई में रहते थे। ऐसे में 19 जुलाई को सुनील कुमार अपनी पत्नी राखी (Sunil Kumar and Rakhi Garg) के साथ मुंबई से वापस ग्रेटर नोएडा लौट आए, लेकिन जब उन्होंने किरायेदार महिला को फ्लैट खाली करने को कहा तो उसने फ्लैट खाली करने से साफ इंकार कर दिया।

इस दंपत्ति का कहना है कि महिला का रेंट एग्रीमेंट 1 महीने पहले ही खत्म हो चुका है, लेकिन इसके बावजूद भी वह जबरन उनके फ्लैट में कब्जा करके रह रही है। ऐसे में घर न मिलने की वजह से सुनील और उनकी पत्नी को फ्लैट की सीढ़ियों पर ही रहना पड़ रहा है, जबकि पुलिस ने एडीएम से घर खाली करवाने का नोटिस आने तक दंपत्ति को इंतजार करने के लिए कहा है।
ऐसे में बेहद जरूरी है कि अपना मकान किराए पर देने और दूसरे का मकान किराए पर लेने वाले व्यक्ति को रेंट से सम्बंधित नियम कानून की जानकारी हो, ताकि दोनों पक्षों के बीच विवाद की स्थिति पैदा न हो सके। इसलिए इस आर्टिकल में हम आपको मकान मालिक और किरायेदार के अधिकारों से सम्बंधी अहम नियम बताने जा रहे हैं।
क्या है किरायादार कानून?

बड़े शहरों में लोग अक्सर नौकरी करने के वाले युवाओं को अपना खाली मकान, फ्लैट या कमरा किराये पर देते हैं, जिससे उनकी भी कमाई होती रहती है। ऐसे में भारत में किराए पर मकान लेने और देने के लिए साल 1948 में टेनेंसी और लीजिंग रेटल कानून लागू किया गया है, जिसमें मकान मालिक और किरायेदार के अधिकारों को ध्यान में रखते हुए कुछ नियम बनाए गए थे।

ऐसे में भारत के प्रत्येक राज्य में किराया अधिनियम लागू किया गया है, जिसमें महाराष्ट्र किराया नियंत्रण अधिनियम 1999 और दिल्ली किराया नियंत्रण अधिनिय 1958 शामिल है। हर राज्य सरकार के पास यह अधिकार है कि वह भूमि के हिसाब से अपने राज्य में किराया नियंत्रण अधिनियम को लागू करे और उसमें समय-समय पर संशोधन भी किया जाए।

इस किराया नियंत्रण अधिनियम के अंतर्गत किरायेदार को अनुचित बेदखली से बचाने, उचित किराया, आवश्यक सेवाओं का अधिकार दिया जाता है, जबकि इस अधिनियम के तहत मकान मालिक को समय पर किराया वसूल करने और उचित कारण होने पर किरायेदार को घर से बेदखल करने का अधिकार होता है।

ऐसे में किराया नियंत्रण अधिनियम के तहत किरायेदार और मकान मालिक को एक रेंटल एग्रीमेंट बनाना अनिवार्य होता है, जिसमें दोनों पार्टियों के बीच लिखित में समझौता होता है। इस रेंटल एग्रीमेंट के तहत मकान मालिक एक तय तारीख तक अपना घर किरायेदार को किराए पर देता है, जिसमें किराया देने की तारीख, सिक्योरिटी और नियमों का उल्लेख किया जाता है।

Related articles