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गरीब घर में लिए जन्म ; पिता थे चपरासी, बेटा बना IPS अधिकारी, पूरे मोहल्ले के लोगों ने दी शुभकामनाएं

गरीब घर में लिए जन्म ; पिता थे चपरासी, बेटा बना IPS अधिकारी, पूरे मोहल्ले के लोगों ने दी शुभकामनाएं

अगर आपको लगता है कि भगवान ने आपके साथ अन्‍याय किया है और आपके जीवन को संघर्ष से भर दिया है, तो संघर्ष की हकीकत पता करने के लिए एक बार नुरुल हसन के बारे में पढ़ ले। यूपी के पीलीभीत जिले के एक छोटे से गांव में पैदा हुए नुरुल हसन ने बचपन शायद ही सोचा होगा कि वो आगे चलकर आईपीएस अफसर बनेंगे। एक बेहद गरीब परिवार से आने वाले नूरुल ने अपने जीवन में बहुत संघर्ष देखा। लेकिन कहते हैं न कि, अगर जीवन में कुछ कर दिखाने का जज्‍बा हो तो व्यक्ति हर असंभव को संभव बना सकता है।

संघर्ष की शुरूआत:पीलीभीत जिले के हररायपुर गांव के रहने वाले नुरुल हसन के परिवार की आर्थिक स्थिति शुरू से ही बेहद खराब थी। बचपन में इनके पिता के पास नौकरी तक नहीं थी। हालांकि बाद में वे फोर्थ ग्रेड कर्मचारी की नौकरी मिली। वहीं मां घरेलू महिला थीं और नुरुल के दो छोटे भाई भी थे। जिसके कारण पूरे परिवार का पालन बहुत मुश्किल से होता था। नुरुल की प्रारंभिक पढ़ाई गांव में ही हुई। जब वो क्लास छह में थे तब जाकर उन्‍होंने अंग्रेजी का ए,बी,सी, डी… सीखा। यही कारण रहा कि उनकी अंग्रेजी शुरूआत में काफी कमजोर रही।

तंगहाली में भी किया स्‍कूल टॉप:तंगहाली में बचपन गुजरने के बाद भी नुरुल हसन का मन पढ़ाई से नहीं भटका। नुरुल ने 10वीं में 67 प्रतिशत अंक प्राप्त करके अपने स्कूल में टॉप किया था। इसके बाद जब उनके पिता को नौकरी मिल गई, तो परिवार गांव छोड़, बरेली में शिफ्ट हो गया। बरेली से ही उन्होंने 12वीं किया। जहां 75 प्रतिशत अंक आए थे। बरेली में वो एक झुग्गी बस्ती में रहते थे। कठिन परिस्थितियों के बावजूद उन्होंने या उनके परिवार ने कभी पढ़ाई बंद करने के बारे में नहीं सोचा।

कोचिंग के लिए पिता ने बेंच दी पुश्तैनी जमीन:12वीं के बाद नुरुल ने आईआईटी से बीटेक करने का फैसला किया, लेकिन उनके पास कोचिंग के लिए पैसे नहीं थे, तब उनके पिता ने कोचिंग के 35000 रुपये भरने के लिए गांव मे अपनी 1 एकड़ ज़मीन बेच दी। इससे मिले पैसों के द्वारा नुरुल ने कोचिंग की फीस भरी और पढ़ाई शुरू की। वहीं जमीन बेचने पर उनके परिवार को लोगों की आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा। लेकिन नुरुल ने सिर्फ अपने लक्ष्य के प्रति एकाग्र रहे। हालांकि उन्हें आईआईटी में एडमिशन नहीं मिला, लेकिन उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की बीटेक प्रवेश परीक्षा पास कर ली थी।

इसके बाद उन्होंने यहां दाखिला लिया। एक इंटरव्यू में नुरुल ने बताया कि उनके पास कॉलेज की फीस भरने के भी पैसे नहीं थे इसीलिए उन्होंने बच्चों को फिजिक्स और केमिस्ट्री की ट्यूशन देना शुरू किया। ट्यूशन फीस में मिलने वाले पैसो के द्वारा उन्होंने अपने कॉलेज की फीस भरी। नुरुल कभी अपने जीवन में आई कठिनाइयों से घबराए नहीं बल्कि हर मुश्किल का हल निकाल कर आगे बढ़ते रहे।

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