ईद उल अजहा का त्यौहार पूरी दुनिया में धूमधाम से मनाया गया. क्रिकेटर्स ने भी ईद का पर्व मनाया. क्रिकेटर्स ने अपने फैन्स को ईद की बधाई देने के लिए बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया. पाक क्रिकेटर्स ने अपनी पत्नियों संग ईद का जश्न मनाया.
पाक क्रिकेटर्स की पत्नियां ईद के अवसर पर बेहद ही ग्लैमरस अंदाज में नजर आई. वहाब रियाज से लेकर अजहर महमूद की पत्नी ने अपनी खूबसूरती से ईद के अवसर पर चार चाँद लगा दिए. पाक महिला क्रिकेटर्स ने भी फैन्स को शुभकामनाएं दी.
EID MUBARAK from us🥰🥰🥰🥰 pic.twitter.com/xjfhjheNTo
— Mohammad Amir (@iamamirofficial) July 10, 2022
10 जुलाई को मनाया गया ईद उल अजहा का जश्न
ईद-उल-अजहा (बकरीद ) के मौके पर रविवार को जामा मस्जिद में नमाज अदा करने के लिए नमाजी जमा हुए. इस साल 10 जुलाई को मनाया जा रहा ईद-उल-अजहा एक पवित्र अवसर है, जिसे ‘बलिदान का त्योहार’ भी कहा जाता है.
इस पर्व को जिल हिज के 10वें दिन मनाया जाता है, जो इस्लामी या चंद्र कैलेंडर का बारहवा महीना होता है. यह वार्षिक हज यात्रा के अंत का प्रतीक है. हर साल, तारीख बदलती है क्योंकि यह इस्लामिक कैलेंडर पर आधारित है, जो पश्चिमी 365-दिवसीय ग्रेगोरियन कैलेंडर से लगभग 11 दिन छोटा है.
Eid Mubarak from my cricket family. Stay blessed and happy 🤗💕#EidAlAdha pic.twitter.com/rw4X1oj9Pf
— Bismah Maroof (@maroof_bismah) July 10, 2022
बलिदान का प्रतीक है ईद उल अजहा
ईद उल-अजहा खुशी और शांति का अवसर है, जो लोग अपने परिवारों के साथ मनाते हैं. इस दौरान वे पुरानी शिकायतों को दूर करते हैं और एक दूसरे के साथ बेहतर संबंध बनाते हैं. यह पैगंबर अब्राहम की ईश्वर के लिए सब कुछ बलिदान करने की इच्छा के स्मरणोत्सव के रूप में मनाया जाता है.
Eid Mubarak everyone from me and my family ♥️✨#EidAlAdha pic.twitter.com/leOFSpJSgw
— Wahab Riaz (@WahabViki) July 10, 2022
4000 साल पुराना है ईद का इतिहास, इसलिए मनाते हैं ईद उल अजहा
इस पर्व का इतिहास 4,000 साल पहले का है जब अल्लाह पैगंबर हजरत इब्राहिम के सपने में प्रकट हुए थे और उनसे उनकी सबसे ज्यादा प्यारी वस्तु का बलिदान देने के लिए कह रहे थे.
धर्म के जानकारों के अनुसार, पैगंबर अपने बेटे इसहाक की बलि देने वाले थे कि तभी एक फरिश्ता प्रकट हुआ और उन्हें ऐसा करने से रोक दिया. उन्हें बताया गया था कि अल्लाह उनके प्रति उनके प्रेम के प्रति आश्वस्त हैं. इसलिए उन्हें ‘महान बलिदान’ के रूप में कुछ और करने की जरूरत नहीं है.