पूर्वज थे गुलाम, दादा मजदूर, पिता कसाई, बेटा बना बुगाटी सुपरकार रखने वाला इकलौता भारतीय

शौक बड़ी चीज होती है. इस शौक के चक्कर में ही बड़ी बड़ी रियासतें बिक गईं, हालांकि आज हम जिस शौकीन व्यक्ति की कहानी आपको बताने जा रहे हैं उसकी रियासत नहीं बिकी है लेकिन उसके शौक के चर्चे पूरी दुनिया में हो रहे हैं. यहां बात हो रही है महंगी और लग्जरी कारों के शौक और इन कारों के शौकीनों के बारे में.
दुनिया भर में ऐसे बहुत से लोग हैं जो महंगी कारों को अपने गैरज में रखने का शौक रखते हैं. ऐसे लोग कारों पर लाखों-करोड़ों रुपये खर्च करने में जरा नहीं सोचते. हालांकि दुनिया भर में महंगी कारों के इतने दीवाने होने के बावजूद कुछ ऐसी कारें भी हैं जहां तक पहुंचना सभी के बस की बात नहीं है. इन्हीं में एक कार कंपनी है बुगाटी, जिसकी सुपरकारें जितनी लाजवाब हैं उतनी ही बेशकीमती भी. बड़े बड़े सेलिब्रिटी भी इस कंपनी की कारों को आसानी से अफोर्ड नहीं कर पाते क्योंकि बुगाटी कारों की कीमत ही 11-12 करोड़ रुपये से शुरू होती है.
दुनिया का इकलौता भारतीय जिसके पास है ये सुपरकार
लेकिन आज हम जिस शौकीन के बारे में आपको बताने जा रहे हैं उनकी कारों के प्रति दीवानगी अब विश्वविख्यात होती जा रही है. अमेरिका में रहने वाले भारतीय मूल के मयूर श्री नामक व्यवसायी के पास वैसे तो कई लग्जरी कारें हैं लेकिन वह आजकल अपनी बुगाटी शिरॉन सुपरकार के लिए चर्चा में हैं. इस कार की जितनी कीमत है, उतनी संपत्ति रखने वाला शख्स खुद को अमीर मानता है. जी हां इस कार की कीमत 21 करोड़ रुपये है.
21 करोड़ है इस कार का दाम
सबसे खास बात ये हैं कि इस कार की कीमत इतनी ज्यादा है कि अमीर से अमीर शख्स भी इसे खरीदने में खुद को सक्षम नहीं पाता. यही वजह है कि मयूर श्री को 21 करोड़ की बुगाटी शिरॉन सुपरकार रखने वाले दुनिया के इकलौते भारतीय के रूप में जाना जाता है. हालांकि विदेशों में रहने वाले बहुत से ऐसे भारतीय हैं जिनके पास बुगाटी वेरॉन है लेकिन इस कार की कीमत मयूर श्री की बुगाटी शिरॉन के मुकाबले काफी कम है. ये कारें 12 करोड़ रुपये के आसपास कीमत की हैं. ऐसे में मयूर श्री एकमात्र ऐसे एनआरआई हैं, जिनके पास 21 करोड़ रुपये की बुगाटी शिरॉन
बड़ी बात ये है कि मयूर श्री ने ये गाड़ी अपने लिए नहीं बल्कि अपने पिता के लिए खरीदी थी. उन्होंने अपने पापा को गिफ्ट के तौर पर यह सुपरकार दी.
कौन हैं मयूर श्री?
आज अमेरिका में रहने वाले मयूर श्री का दक्षिण अफ्रीका में भले ही अरबों का कारोबार फैला हो लेकिन एक समय था जब इनके पूर्वज गुलाम के तौर पर काम करते थे. जी हां 1860 के शुरुआती दशक में मयूर के पूर्वज भारत से आसपास दक्षिण अफ्रीका लाए गए थे. ये गुलामी के करार के तहत यहां पहुंचे थे. इसके बाद मयूर श्री के दादा ने एक फैक्ट्री कामगार के रूप में काम करते हुए अपना जीवनयापन करते थे और इनके पिता ने अफ्रीका में ही कसाईखाने से शुरूआत की थी. लेकिन अपनी मेहनत के दम पर यह खानदान अब दक्षिण अफ्रीका और अमेरिका के अमीरों की सूची में शामिल है.
मयूर श्री का परिवार कोल्ड स्टोरेज के बिजनेस में है. इस परिवार के कोल्ड स्टोरेज का नेटवर्क पूरे डर्बन में फैला हुआ है. अपने एक इंटरव्यू में मयूर ने कहा था कि साउथ अफ्रीका में फ्रूट्स का जितना एक्सपोर्ट होता है, पूरा उनके कोल्ड स्टोरेज वेयरहाउस नेटवर्क से होकर ही जाता है.