आनंद महिंद्रा1997 मेंग्रुपके एमडी बने थे। हार्वर्डबिजनेसस्कूल सेग्रैजुएशनकी पढ़ाई करने वाले आनंद ने शायद तभी जान लिया था कि नए बिजनेस में उतरे बगैर ग्रुप को नई ऊंचाइयों पर ले जाना मुमकिन नहीं है। देश में बिज़नेस के बदलते माहौल को भांपते हुए आनंद महिंद्रा ने ऑटो इंडस्ट्री पर फोकस किया।
उन्होंने इस प्रोजेक्ट पर काम कर चुके अपने इंजीनियर्स को भारतीय बाजार के लिए मल्टी यूटिलिटी व्हीकल (एमयूवी) का कॉन्सेप्ट तैयार करने का काम सौंपा। उनकी यह कोशिश कामयाब रही। महिंद्रा ने 2002 में भारतीय बाजार में स्कॉर्पियो नाम से अपनी पहली एमयूवी पेश की। यह पूरी तरह से भारत में विकसित गाड़ी थी। स्कॉर्पियो की कामयाबी के बाद आनंद ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
मदद करने में सबसे पहले आगे आते है आनंद महिंद्रा.देश के प्रमुखउद्योगपतिआनंद महिंद्रा ने या सोशल प्लेटफॉर्मट्वीटरपर किए गए अपने एक वादे को पूरा करते नज़र आएं। आनंद महिंद्रा ने बीते दिनों ट्विटवर पर एक शख्स कावीडियोशेयर किया था, जिसमें वो व्यक्ति कबाड़ से बनी हुई जुगाड़ जीपड्राइवकर रहा था। उस वक्त आनंद महिंद्रा ने इस जीप के बदले नई तोहफे में देने का वादा किया था। आज उन्होनें वो वादा पूरा कर दिया है।
बीते दिनों हिस्ट्रीकनोनाम केयूट्यूबचैनल ने एक वीडियो अपलोड किया था, जिसमें महाराष्ट्र के रहने वाले दत्तात्रेय लोहार नाम के एक शख्स ने जुगाड़ से कबाड़ के सामान से एक ऐसी अनोखी जीप (जीप बनाई थी। इस वीडियो को आनंद महिंद्रा ने ट्वीटर पर साझा किया था और जीप को बनाने वाले दत्तात्रेय के हुनर की तारीफ की थी।
इस अतरंगी जीप की सबसे ख़ास बात ये है कि ये सेल्फ से नहीं बल्किबाइककी तरह किक से स्टार्ट होती है। ये जुगाड़ जीप अपने बेटे की इच्छा पूरी करने के लिए बनाया था और इसे बनाने में तकरीबन तकरीबन 60,000 रुपये का खर्च आया था। अब उन्हें नईमहिंद्राबोलेरो मिल चुकी है, जिसे उनकेपरिवारकी उपस्थिति में सौंपा गया