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बीरबल की मौत के बाद गुस्से से धधक रहे थे अकबर, फिर राजा मान सिंह ने ऐसे लिया दुश्मनों से बदला

Editor Editor
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Akbar Condition After Birbal Death:हम बचपन से हीअकबर (Akbar)औरबीरबल (Birbal)से जुड़े ढेरों क़िस्से और कहानियां सुनते आ रहे हैं. बताया जाता है कि अकबर के नवरत्नों में शामिल बीरबल उनके सबसे प्रिय थे. बीरबल ने अपनी बुद्धिमता और हाज़िर-जवाबी से मुग़ल सम्राट अकबर के दिल में अपनी एक ख़ास जगह बना रखी थी. किसी परेशानी में होने पर बादशाह भी सबसे पहले बीरबल को याद करते थे और जवाब में बीरबल भी उन्हें कभी निराश होने का मौका नहीं देते थे. इस पर कई उपन्यास और टीवी शोज़ भी बनाए जा चुके हैं, जिसे लोगों ने ख़ूब पसंद किया था.

उस ज़माने में दोनों की बीच दोस्ती काफ़ी गहरी हो गई थी. कहा जाता है कि इसी वजह से बीरबल की मृत्यु के बाद अकबर बिल्कुल दीन-दुनिया से विरक्त हो गए थे.आइए आपको बताते हैं कि बीरबल के दुनिया से चले जाने के बाद अकबर (Akbar Condition After Birbal Death) की हालत कैसी हो गई थी.

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बीरबलउन पहले व्यक्तियों में से एक थे, जो अकबर के दरबार में1556 ईसवींमें शामिल हुए थे. उस दौरान वो 28 साल के थे और उनके चेहरे पर बड़ी-बड़ी मूंछे हुआ करती थीं. उन्होंने धीरे-धीरे राजसी मामलों में अपनी भागीदारी देनी शुरू की और अपनी सूझबूझ से मामले हल करने के चलते अकबर के फ़ेवरेट बन गए. कहा जाता है कि उन्हें राजा के टाइटल से भी नवाजा गया था और उनके पास2000 सैनिकभी थे. इसके साथ ही उन्हें‘कवियों का राजा’भी कहा जाने लगा. उन्हें बृज भाषा की अच्छी समझ थी और इसी भाषा में वो कविताएं लिखा करते थे. इन कविताओं की अकबर के दरबार में ख़ूब तारीफ़ें हुआ करती थीं. इन सभी ख़ूबियों की वजह से वो अकबर के बेहद क़रीब आ गए थे.

बीरबल को कभी नहीं करना पड़ा अकबर के गुस्से का सामना
अकबरजबफ़तेहपुर सीकरीका निर्माण करा रहे थे, तो उन्होंने एक क़िला बीरबल के लिए भी बनवाने के लिए कहा था. ताकि वो दोनों रोज़ मुलाकात कर सकें. कहा जाता है कि बीरबल ने बादशाह के दरबार में30 सालोंसे भी ज़्यादा काम किया. लेकिन इस दौरान उन्हें एक बार भी महाराजा के गुस्से का सामना नहीं करना पड़ा. यहां तक अकबर के क़रीबियों को भी उनके गुस्से का शिकार होना पड़ा. लेकिन बीरबल के साथ ऐसा कभी नहीं हुआ.

अफ़गान बागियों से लड़ाई में गई बीरबल की जान
शाज़ी ज़मांकी एक क़िताब‘अकबर’की मानें, तो1586 ईसवीमेंजै़न ख़ां कोकाऔरबीरबलकोपश्तून युसुफ़ज़ाईके खिलाफ़ उन्हें शिकस्त देने के लिए भेजा गया था. फिर और मदद मांगे जाने परअबुल फ़तहको भी भेज दिया गया. बीरबल कीजै़न ख़ां कोकाऔरअबुल फ़तहदोनों से नहीं बनती थी. नेताओं की असहमति की वजह से वहां बीरबल के खिलाफ़ एक जाल बुना गया और उन्हें धोखे से काबुल की धूसर पहाड़ियों से नीचे गिरा दिया गया. इस जंग में बीरबल की लाश तक बरामद नहीं हुई थी. अकबर के शासनकाल में ये मुग़लों की सबसे बड़ी हार थी, जिसमें8000से ज़्यादा मुग़ल सैनिकों की जान गई. इनमें एक बीरबल भी थे.

615बीरबल की मौत के बाद क्या हुआ था अकबर का हाल?
बीरबलकी मौत की ख़बर मिलने के बाद अकबर की आंखों की नींद उड़ गई थी. बताया जाता है कि उन्होंने काफ़ी समय तक खाना-पीना छोड़ दिया था.बदायुनीने भी लिखा था कि, बादशाह इस बात की कल्पना करते सिहर जाते थे कि उनके चहेते वजीर की कटी-फटी, खून से सनी लाश पहाड़ियों में कहीं पड़ी होगी. बादशाह की इस हालत को देखते हुएराजा मान सिंहने अकबर से वायदा किया कि वो उस इलाके के राजा को बांध कर धकेलते हुए सामने लाएंगे और उसके क़िले को गिरा कर शहर को जला देंगे. बीरबल की मौत के बाद कई अफ़वाहें उड़ती रहीं कि वो जिंदा है आर फ़लाना जगह देखे गए हैं. जैसे ही ये ख़बर बादशाह के कानों में पड़ती थी, वो तुरंत अपनी सेना वहां भेज देते थे.

काफ़ी समय बाद अकबर बाकी काम-काज तो करते दिखने लगे, लेकिन उनके भीतर मानो एक गहरा छेद हो गया था. जिसका घाव कभी नहीं भरा जा सकता था. वो कभी उसके बाद दोबाराफ़तेहपुर सीकरीनहीं गए, जहां उनके क़रीबी दोस्त बीरबल की यादें थीं.

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