fbpx

आखिर शिवलिंग पर क्यों चढ़ाया जाता है कच्चा दूध, जानें समुद्र मंथन के उपरांत कैसे शुरू हुई ये परंपरा !

Editor Editor
Editor Editor
2 Min Read

ज्योतिष शास्त्र में शिवलिंग पूजा को लेकर कई नियम बताए गए हैं. मान्यता है कि शिवलिंग पर दूध से रुद्राभिषेक करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं. सोमवार के दिन दूध का दान कुंडली में चंद्रमा को मजबूत करता है.

78 1

सावन माह में भगवान शिव का दूध डालकर जलाभिषेक का विशेष महत्व है. सभी लोग भगवान शिव का दूध से अभिषेक करते हैं. लेकिन शायद बहुत कम ही लोग इसके महत्व के बारे में जानते होंगे. आइए जानते हैं इस बारे में.

दूध से क्यों किया जाता है अभिषेक

79

सावन माह में और सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है. इस दिन दूध से अभिषेक करने का विशेष महत्व है. इसके पीछे एक पौराणिक कथा प्रचलित है. समुद्र मंथन के दौरान संसार को बचाने के लिए शिव जी मे विषपान कर लिया था. इससे उनका पूरा कंठ नीला हो गया था. भगवान शिव के विषपान करने से उसका प्रभाव शिव जी पर और जटा में बैठी गंगा मैं पर पड़ने लगा.

ऐसे में सभी देवी-देवताओं ने शिव से दूध ग्रहण करने का आग्रह किया. दूध ग्रहण करते ही उनके शरीर में विष का प्रभाव कम होने लगा. तभी से शिव जी को दूध अर्पित करने की परंपरा है. हालांकि, इसके बाद ही शिव जी का पूरा गला नीला हो गया.
जलाभिषेक की सही दिशा

80

शिवपुराण में जलाभिषेक के कई नियमों के बारे में बताया गया है. अगर शिव जी का जलाभिषेक करते समय इन बातों का ध्यान न रखा जाए, तो पूजा का पूरा फल नहीं मिलता. शिवलिंगप र जलाभिषक या फिर रुद्राभिषेक करते समय दिशा का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए.

शिव जी का जलाभिषेक करते समय गलती से भी पूर्व दिशा की ओर खड़ी नहीं हो. इस दिशा में शिवलिंग का मुख होना चाहिए. वहीं, कहते हैं कि पश्चिम दिशा की ओर मुख करके शिवलिंग पर जल अर्पित न करें. शिवलिंग पर जल अर्पित करते समय स्वंय दक्षिण दिशा की ओर मुख कर लें.

Share This Article