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आमिर की ‘राजा हिन्दुस्तानी’, जिसमें उनकी परफॉरमेंस छोड़ ’47 रीटेक वाले किसिंग सीन’ की बात हुई

Editor Editor
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बी.आर. चोपड़ा की फिल्म ‘नया दौर’ की शूटिंग शुरू होने को थी. इस फिल्म में दिलीप कुमार और मधुबाला लीड रोल्स कर रहे थे. बताया जाता है कि उन दिनों ये दोनों लोग एक-दूसरे के साथ रोमैंटिकली इनवॉल्व्ड थे. खैर, फिल्म का एक शेड्यूल मध्यप्रदेश में शूट होना था. मधुबाला के पिता अताउल्लाह खान ने उन्हें वहां जाने से रोक दिया. उनकी चिंता ये थी कि आउटडोर शूट पर इन दोनों की नज़दीकियां बढ़ेंगी. अगर प्रोड्यूसर और एक्टर के संदर्भ में देखें, तो ये ब्रीच ऑफ अग्रीमेंट था. इस बात से नाराज़ होकर बी.आर. चोपड़ा ने मधुबाला के खिलाफ कोर्ट केस कर दिया. इस केस में दिलीप कुमार ने मधुबाला के खिलाफ बयान दे दिया. या यूं कहें कि जो हुआ था, वो बयां कर दिया. मधुबाला ये केस हारतीं, तो उन्हें जेल जाना पड़ता, इसलिए लास्ट मोमेंट में बी.आर. चोपड़ा ने ये केस ड्रॉप कर दिया.
इस केस का रुख बी.आर. चोपड़ा की तरफ मोड़ने का क्रेडिट जाता है सोलिसिटर सरदारीलाल सभरवाल को. लेकिन इनका ज़िक्र ‘राजा हिन्दुस्तानी’ की कॉपी में क्यों है? कनेक्शन अभी स्थापित कर देते हैं. सरदारीलाल ही वो शख्स थे, जिन्होंने 1948 में बनी पहली पाकिस्तानी फीचर फिल्म ‘तेरी याद’ को प्रोड्यूस किया था. इस फिल्म में दिलीप कुमार के भाई नासिर खान ने काम किया था. 1955 में सरदारीलाल फैमिली के साथ हिंदुस्तान चले आए. उनके बेटे दर्शन सभरवाल ने पापा के बिज़नेस को आगे बढ़ाना शुरू किया. कई फिल्में प्रोड्यूस करने के बाद दर्शन ने 1968 में अपनी पहली फिल्म ‘कहीं दिन कहीं रात’ डायरेक्ट की. पिक्चर पिट गई. इसके बाद दर्शन ने फिल्म डिस्ट्रिब्यूशन का काम शुरू कर दिया. उन्होंने अपने करियर में 400 से ज़्यादा फिल्मों का डिस्ट्रिब्यूशन किया. इसमें अमिताभ की ‘ज़ंजीर’ समेत दर्जनों फिल्में शामिल थीं. जब दर्शन की उम्र बढ़ गई, तो फैमिली के फिल्मी बिज़नेस को आगे बढ़ाने की ज़िम्मेदारी उठाई उनके दोनों बेटों- सुनील और धर्मेश दर्शन ने.
दर्शन सभरवाल अपने करियर में फिल्में प्रोड्यूस, डायरेक्ट, डिस्ट्रिब्यूट करने के अलावा फिल्म इक्विपमेंट्स भी सप्लाई करते थे.
दर्शन सभरवाल अपने करियर में फिल्में प्रोड्यूस, डायरेक्ट, डिस्ट्रिब्यूट करने के अलावा फिल्ममेकिंग इक्विपमेंट्स भी सप्लाई करते थे.

90 के दशक में हिंदी सिनेमा में कई नए फिल्ममेकर्स ने दस्तक दी. इसमें आदित्य चोपड़ा, सूरज बड़जात्या, करण जौहर जैसे तमाम नाम शामिल हैं. इन सब लोगों ने अपना करियर तोड़फोड़ स्टाइल में शुरू किया था. इसी समय धर्मेश दर्शन ने भी अपना डायरेक्टोरियल डेब्यू किया. 1993 में धर्मेश मात्र 24 साल के थे. उन्होंने सनी देओल और जूही चावला को लेकर ‘लुटेरे’ नाम की फिल्म बनाई. ये फिल्म उनके होम प्रोडक्शन में बनी थी. ‘लुटेरे’ सक्सेसफुल रही. मगर इतनी बड़ी हिट नहीं रही कि उनकी गिनती, ऊपर गिनाए गए फिल्ममेकर्स के साथ की जाए.
‘लुटेरे’ के बाद धर्मेश ने अपनी दूसरी फिल्म पर काम शुरू किया. इसकी स्टोरी भी उन्होंने खुद लिखी. जो कि 1965 में आई शशि कपूर और नंदा स्टारर फिल्म ‘जब जब फूल खिले’ से प्रेरित थी. फिल्म की कास्टिंग शुरू हुई. धर्मेश ने आमिर खान को अप्रोच किया. आमिर ने देखा कि ये गरीब लड़का और अमीर लड़की वाली रेगुलर लव स्टोरी है. उन्होंने फिल्म में काम करने से मना कर दिया. इसके बाद धर्मेश ने उन्हें कन्विंस करना शुरू किया. आमिर खान के बारे में कहा जाता है कि उनका काम करने का फंडा बड़ा सिंपल है. या तो वो आपको कन्विंस कर लेंगे या खुद कन्विंस हो जाएंगे. धर्मेश ने उन्हें बताया कि ये फिल्म चाहे जैसी भी हो, इसका कमर्शियल एंगल मजबूत है. आमिर भी तब ऑन एंड ऑफ सफल और असफल फिल्मों के बीच झूल रहे थे. डायरेक्टर का कॉन्फिडेंस देखकर वो इस फिल्म में काम करने को तैयार हो गए.
फिल्म ‘राजा हिंदुस्तानी’ के सेट पर आमिर खान के साथ डायरेक्टर धर्मेश दर्शन.
फिल्म ‘राजा हिंदुस्तानी’ के सेट पर आमिर खान के साथ डायरेक्टर धर्मेश दर्शन.

अब फिल्म के लिए लीडिंग लेडी की तलाश शुरू हुई. ‘लुटेरे’ में धर्मेश जूही चावला के साथ काम कर चुके थे. इसलिए उन्होंने फिर से जूही को अप्रोच किया. मगर जूही और आमिर के बीच कुछ मनमुटाव चल रहा था. इसलिए जूही ने फिल्म करने से इन्कार कर दिया. हालांकि बाद में उन्हें अपनी इस गलती का अफसोस हुआ. ‘गुलाब गैंग’ की रिलीज़ से पहले दिए एक इंटरव्यू में जूही ने बताया कि तब वो अपने करियर में टॉप पर थीं. उन्हें लगता था कि उनके बिना इंडस्ट्री नहीं चलेगी. धर्मेश की ये फिल्म छोड़ने को उन्होंने अपनी ‘Silly mistake’ करार दिया. इसके बाद ऐश्वर्या राय को कॉन्टैक्ट किया गया. मगर ऐश्वर्या श्योर नहीं थीं कि उन्हें फिल्मों में आना है कि नहीं. फाइनली करिश्मा कपूर से बातचीत शुरू की गई. करिश्मा ने कुछ सालों पहले ही अपना करियर शुरू किया था. उनके खाते में कुछ एक सफल फिल्में तो थीं, मगर उन फिल्मों में उनके करने के लिए कुछ खास था नहीं. कहने का मतलब उन्हें एक्टिंग के मामले में खुद को साबित करना अभी बाकी था. वो इस फिल्म में काम करने को तैयार हो गईं. जिस फिल्म की तैयारी हो रही थी, उसे ‘राजा हिंदुस्तानी’ के नाम से बुलाया गया.
फिल्म ‘राजा हिंदुस्तानी’ का पोस्टर.
फिल्म ‘राजा हिंदुस्तानी’ का पोस्टर.

# फिल्म का वो किसिंग सीन, जो आमिर और करिश्मा ने कांपते हुए शूट किया
जब भी ‘राजा हिंदुस्तानी’ की बात होती है, गानों के बाद सीधे किसिंग सीन का ज़िक्र आता है. कहा जाता है कि तब ये हिंदी सिनेमा का सबसे लंबा किसिंग सीन था. मगर इस सीन को फिल्माने में फिल्म के लीड पेयर को कई दुश्वारियों का सामना करना पड़ा. पहला पंगा तो ये था कि ‘राजा हिंदुस्तानी’ एक फैमिली फिल्म थी. इसमें किसिंग सीन फैमिली ऑडियंस को असहज कर सकता था. मगर धर्मेश दर्शन ने इस सीन को पूरे कन्विक्शन के साथ शूट किया. रेडिफ डॉट कॉम को दिए एक इंटरव्यू में इस सीन पर बात करते हुए धर्मेश ने बड़ी अच्छी बात कही थी. उन्होंने कहा-
”I knew it had to be sensual, even sexual, but couldn’t be vulgar or offensive.”
यानी वो जानते थे कि ये सीन सेंशुअल और सेक्शुअल तो होगा. मगर वो इस सीन को फूहड़ नहीं बनाना चाहते थे.
जब आप ये सीन देखेंगे, तो आपको इसमें कोई ड्रामा या म्यूज़िकल बिल्ड-अप नज़र नहीं आएगा. सिर्फ बैकग्राउंड में संगीत बजता सुनाई देगा. जो संगीत आपको नेपथ्य में बजता सुनाई देता है, वो ‘तुम दिल की धड़कन में रहते हो’ गाने की धुन है. बाद में जब धर्मेश ने ‘धड़कन’ नाम की फिल्म बनाई, तो इस ट्यून को फिल्म के टाइटल ट्रैक में इस्तेमाल किया गया. ये सारा मामला आप नीचे लगे वीडियो को देख-सुनकर ज़्यादा बेहतर तरीके से समझ पाएंगे-

अब आते हैं इस सीन की मेकिंग पर. अपनी वेब सीरीज़ ‘मेंटलहुड’ के प्रमोशन के दौरान करिश्मा कपूर ने राजीव मसंद को एक इंटरव्यू दिया. इस इंटरव्यू में उन्होंने इस किसिंग सीन की शूटिंग के पीछे की कहानी बताई. करिश्मा कहती हैं-
”लोग उस फिल्म के किसिंग सीन की बात करते हैं. लेकिन क्या बताऊं कि तीन दिन में उस सीन को शूट करने के दौरान हमें क्या-क्या झेलना पड़ा. फरवरी के महीने में हम ऊटी में इस सीन को शूट कर रहे थे. हमारे दिमाग में सिर्फ एक ही चीज़ चल रही थी कि कब खत्म होगा ये किस सीन. वहां भयानक ठंड थी. ऐसे में हम स्टॉर्म फैन के सामने खड़े जमा देने वाली ठंडी पानी में भीग रहे थे. इतने मुश्किल हालात में भी हमें सुबह 7 बजे से लेकर शाम के 6 बजे तक शूट करना पड़ता था.”
कमाल की बात ये कि इस सीन को शूट करने में तीन दिन का समय लगा था. कई रिपोर्ट्स में ये भी दावा किया जाता है कि आमिर को इस किसिंग सीन को फिल्माने के लिए 47 री-टेक्स देने पड़े. मगर इस ट्रिविया की फिल्म से जुड़े किसी भी शख्स ने आज तक पुष्टि नहीं की है. ना ही किसी ने इस बात का खंडन किया. मगर हमारी रिसर्च और सिनेमा के जानकारों के मुताबिक ये फर्जी बात है. अगर इसमें लेशमात्र भी सच्चाई होती, को करिश्मा अपने इंटरव्यू में इसका ज़िक्र ज़रूर करतीं.
# ‘राजा हिंदुस्तानी’ में आमिर का सबसे तगड़ा सीन कोई देख नहीं पाया
जब ‘राजा हिंदुस्तानी’ की शूटिंग पूरी हुई, तो फिल्म का फर्स्ट कट चार घंटे से ज़्यादा लंबा था. ज़ाहिर तौर पर इतनी लंबी फिल्म को कोई भी डिस्ट्रिब्यूटर और एग्ज़ीबिटर खरीदना नहीं चाहेगा. फिल्म की छंटाई शुरू हुई. मगर इस एडिटिंग के चक्कर में फिल्म से आमिर खान का सबसे तगड़ा सीन कट गया. अपने एक इंटरव्यू में धर्मेश दर्शन बताते हैं कि एक सीन था, जिसमें आमिर का किरदार राजा आरती के घर में घुस जाता है. मगर उस वक्त घर पर कोई नहीं होता. ऐसे में राजा आरती के कमरे में जाता है. वो वहां अपने बच्चे की चीज़ें देखकर इमोशनल हो जाता है. क्योंकि उसे लगता है कि आरती ने ये सारी चीज़ें उससे छुपाकर कीं. उसके बच्चे को उससे दूर रखा. इसके बाद वो वहां बैठकर फूट-फूटके रोता है.
धर्मेश बताते हैं कि इस सीन में आमिर ने जो किया वो कोई देख नहीं पाया. फिल्म के डायरेक्टर होने के नाते इस सीन में उन्हें आमिर खान के भीतर का एक्टर नज़र आया. उस एक्टर की रेंज दिखाई दी. मार्केट की डिमांड के मुताबिक इसके साथ कई और सीन फिल्म से काटकर अलग करने पड़े. जब धर्मेश ने आमिर को इस सीन के कटने की बात बताई, तो वो भी बड़े निराश हुए. क्योंकि उन्होंने बड़े मन से इस सीन में परफॉर्म किया था. मगर मसला ये था कि आमिर ने कॉमर्शियल वायबलिटी को देखते हुए ही ये फिल्म साइन की थी. इसलिए वो नहीं चाहते थे कि उसके बीच में कोई चीज़ आए.
फिल्म के एक सीन में इमोशनल आमिर खान.
फिल्म के एक सीन में इमोशनल आमिर खान.

# बेस्ट सीन कटने बाद भी आमिर ने जीता पहला बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड
आमिर खान फिल्मफेयर में सात बार बेस्ट एक्टर अवॉर्ड के लिए नॉमिनेट हो चुके थे. मगर उन्हें ये अवॉर्ड कभी नहीं मिला था. 1996 में वो ये अवॉर्ड जीतने के काफी करीब पहुंचे थे. मगर फिल्मफेयर की ज्यूरी ने ‘रंगीला’ में आमिर की परफॉरमेंस के ऊपर ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ में शाहरुख को तरजीह दी. इस घटना से आमिर इतने दुखी हुए कि उन्होंने अवॉर्ड शोज़ में जाना ही छोड़ दिया. फाइनली 1997 में ‘राजा हिंदुस्तानी’ के लिए आमिर को उनका पहला फिल्मफेयर बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड मिला. इस साल शाहरुख खान की कोई फिल्म इस कैटेगरी में नॉमिनेट नहीं हुई थी.
आगे आमिर ने ‘लगान’ के लिए फिल्मफेयर बेस्ट एक्टर अवॉर्ड जीता. फिल्म ‘रंग दे बसंती’ के लिए उन्हें क्रिटिक्स बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड भी दिया गया. मगर आमिर ने कभी किसी शो में जाकर ये अवॉर्ड्स नहीं लिए.
# राजा हिंदुस्तानी के गानों ने फिल्म को बनाया सुपरहिट
‘राजा हिंदुस्तानी’ की सफलता में फिल्म के म्यूज़िक का बड़ा हाथ था. इस फिल्म का म्यूज़िक क्रिएट किया था नदीम और श्रवण की ब्लॉकबस्टर जोड़ी ने. ‘कितना प्यारा तुझे रब ने बनाया’ से लेकर ‘आए हो मेरी ज़िंदगी में’ और ‘परदेसी परदेसी’ चार्टबस्टर साबित हुए. होता ये है कि पब्लिक फिल्म देखे या न देखे मगर फिल्म के गाने उन तक अलग-अलग माध्यमों से पहुंच जाते हैं. इसलिए फिल्ममेकर्स ऐसा म्यूज़िक चाहते हैं, जिसकी एक्सेप्टेंस ज़्यादा हो. यानी इतना मेनस्ट्रीम हो कि उसे हर तबके का शख्स समझ और एंजॉय कर सके. ये चीज़ ‘राजा हिंदुस्तानी’ के फेवर में काम कर गई. प्रेम में पड़े लोग ‘कितना प्यारा तुझे’ गुनगुनाने लगे. लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप वालों को ‘परदेसी परदेसी’ जैसा एंथम मिल गया. दिलजले ‘इश्क में नाच-नाचकर’ बेहाल हो गए. इसका नतीजा ये रहा कि ‘राजा हिंदुस्तानी’ साल का सबसे ज़्यादा बिकने वाला म्यूज़िक एल्बम साबित हुआ. उदित नारायण को ‘परदेसी परदेसी’ के लिए उनके करियर का तीसरा फिल्मफेयर बेस्ट सिंगर अवॉर्ड मिला. जाते-जाने वो गाना भी सुनते जाइए-

वीडियो देखें: जानिए, कैसे ‘रंगीला’ फिल्म से आमिर के अलावा सलमान और शाहरुख भी जुड़े हुए थे

आर. चोपड़ा की फिल्म ‘नया दौर’ की शूटिंग शुरू होने को थी. इस फिल्म में दिलीप कुमार और मधुबाला लीड रोल्स कर रहे थे. बताया जाता है कि उन दिनों ये दोनों लोग एक-दूसरे के साथ रोमैंटिकली इनवॉल्व्ड थे. खैर, फिल्म का एक शेड्यूल मध्यप्रदेश में शूट होना था. मधुबाला के पिता अताउल्लाह खान ने उन्हें वहां जाने से रोक दिया. उनकी चिंता ये थी कि आउटडोर शूट पर इन दोनों की नज़दीकियां बढ़ेंगी. अगर प्रोड्यूसर और एक्टर के संदर्भ में देखें, तो ये ब्रीच ऑफ अग्रीमेंट था. इस बात से नाराज़ होकर बी.आर. चोपड़ा ने मधुबाला के खिलाफ कोर्ट केस कर दिया. इस केस में दिलीप कुमार ने मधुबाला के खिलाफ बयान दे दिया. या यूं कहें कि जो हुआ था, वो बयां कर दिया. मधुबाला ये केस हारतीं, तो उन्हें जेल जाना पड़ता, इसलिए लास्ट मोमेंट में बी.आर. चोपड़ा ने ये केस ड्रॉप कर दिया.
इस केस का रुख बी.आर. चोपड़ा की तरफ मोड़ने का क्रेडिट जाता है सोलिसिटर सरदारीलाल सभरवाल को. लेकिन इनका ज़िक्र ‘राजा हिन्दुस्तानी’ की कॉपी में क्यों है? कनेक्शन अभी स्थापित कर देते हैं. सरदारीलाल ही वो शख्स थे, जिन्होंने 1948 में बनी पहली पाकिस्तानी फीचर फिल्म ‘तेरी याद’ को प्रोड्यूस किया था. इस फिल्म में दिलीप कुमार के भाई नासिर खान ने काम किया था. 1955 में सरदारीलाल फैमिली के साथ हिंदुस्तान चले आए. उनके बेटे दर्शन सभरवाल ने पापा के बिज़नेस को आगे बढ़ाना शुरू किया. कई फिल्में प्रोड्यूस करने के बाद दर्शन ने 1968 में अपनी पहली फिल्म ‘कहीं दिन कहीं रात’ डायरेक्ट की. पिक्चर पिट गई. इसके बाद दर्शन ने फिल्म डिस्ट्रिब्यूशन का काम शुरू कर दिया. उन्होंने अपने करियर में 400 से ज़्यादा फिल्मों का डिस्ट्रिब्यूशन किया. इसमें अमिताभ की ‘ज़ंजीर’ समेत दर्जनों फिल्में शामिल थीं. जब दर्शन की उम्र बढ़ गई, तो फैमिली के फिल्मी बिज़नेस को आगे बढ़ाने की ज़िम्मेदारी उठाई उनके दोनों बेटों- सुनील और धर्मेश दर्शन ने.
दर्शन सभरवाल अपने करियर में फिल्में प्रोड्यूस, डायरेक्ट, डिस्ट्रिब्यूट करने के अलावा फिल्म इक्विपमेंट्स भी सप्लाई करते थे.
दर्शन सभरवाल अपने करियर में फिल्में प्रोड्यूस, डायरेक्ट, डिस्ट्रिब्यूट करने के अलावा फिल्ममेकिंग इक्विपमेंट्स भी सप्लाई करते थे.

90 के दशक में हिंदी सिनेमा में कई नए फिल्ममेकर्स ने दस्तक दी. इसमें आदित्य चोपड़ा, सूरज बड़जात्या, करण जौहर जैसे तमाम नाम शामिल हैं. इन सब लोगों ने अपना करियर तोड़फोड़ स्टाइल में शुरू किया था. इसी समय धर्मेश दर्शन ने भी अपना डायरेक्टोरियल डेब्यू किया. 1993 में धर्मेश मात्र 24 साल के थे. उन्होंने सनी देओल और जूही चावला को लेकर ‘लुटेरे’ नाम की फिल्म बनाई. ये फिल्म उनके होम प्रोडक्शन में बनी थी. ‘लुटेरे’ सक्सेसफुल रही. मगर इतनी बड़ी हिट नहीं रही कि उनकी गिनती, ऊपर गिनाए गए फिल्ममेकर्स के साथ की जाए.
‘लुटेरे’ के बाद धर्मेश ने अपनी दूसरी फिल्म पर काम शुरू किया. इसकी स्टोरी भी उन्होंने खुद लिखी. जो कि 1965 में आई शशि कपूर और नंदा स्टारर फिल्म ‘जब जब फूल खिले’ से प्रेरित थी. फिल्म की कास्टिंग शुरू हुई. धर्मेश ने आमिर खान को अप्रोच किया. आमिर ने देखा कि ये गरीब लड़का और अमीर लड़की वाली रेगुलर लव स्टोरी है. उन्होंने फिल्म में काम करने से मना कर दिया. इसके बाद धर्मेश ने उन्हें कन्विंस करना शुरू किया. आमिर खान के बारे में कहा जाता है कि उनका काम करने का फंडा बड़ा सिंपल है. या तो वो आपको कन्विंस कर लेंगे या खुद कन्विंस हो जाएंगे. धर्मेश ने उन्हें बताया कि ये फिल्म चाहे जैसी भी हो, इसका कमर्शियल एंगल मजबूत है. आमिर भी तब ऑन एंड ऑफ सफल और असफल फिल्मों के बीच झूल रहे थे. डायरेक्टर का कॉन्फिडेंस देखकर वो इस फिल्म में काम करने को तैयार हो गए.
फिल्म ‘राजा हिंदुस्तानी’ के सेट पर आमिर खान के साथ डायरेक्टर धर्मेश दर्शन.
फिल्म ‘राजा हिंदुस्तानी’ के सेट पर आमिर खान के साथ डायरेक्टर धर्मेश दर्शन.

अब फिल्म के लिए लीडिंग लेडी की तलाश शुरू हुई. ‘लुटेरे’ में धर्मेश जूही चावला के साथ काम कर चुके थे. इसलिए उन्होंने फिर से जूही को अप्रोच किया. मगर जूही और आमिर के बीच कुछ मनमुटाव चल रहा था. इसलिए जूही ने फिल्म करने से इन्कार कर दिया. हालांकि बाद में उन्हें अपनी इस गलती का अफसोस हुआ. ‘गुलाब गैंग’ की रिलीज़ से पहले दिए एक इंटरव्यू में जूही ने बताया कि तब वो अपने करियर में टॉप पर थीं. उन्हें लगता था कि उनके बिना इंडस्ट्री नहीं चलेगी. धर्मेश की ये फिल्म छोड़ने को उन्होंने अपनी ‘Silly mistake’ करार दिया. इसके बाद ऐश्वर्या राय को कॉन्टैक्ट किया गया. मगर ऐश्वर्या श्योर नहीं थीं कि उन्हें फिल्मों में आना है कि नहीं. फाइनली करिश्मा कपूर से बातचीत शुरू की गई. करिश्मा ने कुछ सालों पहले ही अपना करियर शुरू किया था. उनके खाते में कुछ एक सफल फिल्में तो थीं, मगर उन फिल्मों में उनके करने के लिए कुछ खास था नहीं. कहने का मतलब उन्हें एक्टिंग के मामले में खुद को साबित करना अभी बाकी था. वो इस फिल्म में काम करने को तैयार हो गईं. जिस फिल्म की तैयारी हो रही थी, उसे ‘राजा हिंदुस्तानी’ के नाम से बुलाया गया.
फिल्म ‘राजा हिंदुस्तानी’ का पोस्टर.
फिल्म ‘राजा हिंदुस्तानी’ का पोस्टर.

# फिल्म का वो किसिंग सीन, जो आमिर और करिश्मा ने कांपते हुए शूट किया
जब भी ‘राजा हिंदुस्तानी’ की बात होती है, गानों के बाद सीधे किसिंग सीन का ज़िक्र आता है. कहा जाता है कि तब ये हिंदी सिनेमा का सबसे लंबा किसिंग सीन था. मगर इस सीन को फिल्माने में फिल्म के लीड पेयर को कई दुश्वारियों का सामना करना पड़ा. पहला पंगा तो ये था कि ‘राजा हिंदुस्तानी’ एक फैमिली फिल्म थी. इसमें किसिंग सीन फैमिली ऑडियंस को असहज कर सकता था. मगर धर्मेश दर्शन ने इस सीन को पूरे कन्विक्शन के साथ शूट किया. रेडिफ डॉट कॉम को दिए एक इंटरव्यू में इस सीन पर बात करते हुए धर्मेश ने बड़ी अच्छी बात कही थी. उन्होंने कहा-
”I knew it had to be sensual, even sexual, but couldn’t be vulgar or offensive.”
यानी वो जानते थे कि ये सीन सेंशुअल और सेक्शुअल तो होगा. मगर वो इस सीन को फूहड़ नहीं बनाना चाहते थे.
जब आप ये सीन देखेंगे, तो आपको इसमें कोई ड्रामा या म्यूज़िकल बिल्ड-अप नज़र नहीं आएगा. सिर्फ बैकग्राउंड में संगीत बजता सुनाई देगा. जो संगीत आपको नेपथ्य में बजता सुनाई देता है, वो ‘तुम दिल की धड़कन में रहते हो’ गाने की धुन है. बाद में जब धर्मेश ने ‘धड़कन’ नाम की फिल्म बनाई, तो इस ट्यून को फिल्म के टाइटल ट्रैक में इस्तेमाल किया गया. ये सारा मामला आप नीचे लगे वीडियो को देख-सुनकर ज़्यादा बेहतर तरीके से समझ पाएंगे-

अब आते हैं इस सीन की मेकिंग पर. अपनी वेब सीरीज़ ‘मेंटलहुड’ के प्रमोशन के दौरान करिश्मा कपूर ने राजीव मसंद को एक इंटरव्यू दिया. इस इंटरव्यू में उन्होंने इस किसिंग सीन की शूटिंग के पीछे की कहानी बताई. करिश्मा कहती हैं-
”लोग उस फिल्म के किसिंग सीन की बात करते हैं. लेकिन क्या बताऊं कि तीन दिन में उस सीन को शूट करने के दौरान हमें क्या-क्या झेलना पड़ा. फरवरी के महीने में हम ऊटी में इस सीन को शूट कर रहे थे. हमारे दिमाग में सिर्फ एक ही चीज़ चल रही थी कि कब खत्म होगा ये किस सीन. वहां भयानक ठंड थी. ऐसे में हम स्टॉर्म फैन के सामने खड़े जमा देने वाली ठंडी पानी में भीग रहे थे. इतने मुश्किल हालात में भी हमें सुबह 7 बजे से लेकर शाम के 6 बजे तक शूट करना पड़ता था.”
कमाल की बात ये कि इस सीन को शूट करने में तीन दिन का समय लगा था. कई रिपोर्ट्स में ये भी दावा किया जाता है कि आमिर को इस किसिंग सीन को फिल्माने के लिए 47 री-टेक्स देने पड़े. मगर इस ट्रिविया की फिल्म से जुड़े किसी भी शख्स ने आज तक पुष्टि नहीं की है. ना ही किसी ने इस बात का खंडन किया. मगर हमारी रिसर्च और सिनेमा के जानकारों के मुताबिक ये फर्जी बात है. अगर इसमें लेशमात्र भी सच्चाई होती, को करिश्मा अपने इंटरव्यू में इसका ज़िक्र ज़रूर करतीं.
# ‘राजा हिंदुस्तानी’ में आमिर का सबसे तगड़ा सीन कोई देख नहीं पाया
जब ‘राजा हिंदुस्तानी’ की शूटिंग पूरी हुई, तो फिल्म का फर्स्ट कट चार घंटे से ज़्यादा लंबा था. ज़ाहिर तौर पर इतनी लंबी फिल्म को कोई भी डिस्ट्रिब्यूटर और एग्ज़ीबिटर खरीदना नहीं चाहेगा. फिल्म की छंटाई शुरू हुई. मगर इस एडिटिंग के चक्कर में फिल्म से आमिर खान का सबसे तगड़ा सीन कट गया. अपने एक इंटरव्यू में धर्मेश दर्शन बताते हैं कि एक सीन था, जिसमें आमिर का किरदार राजा आरती के घर में घुस जाता है. मगर उस वक्त घर पर कोई नहीं होता. ऐसे में राजा आरती के कमरे में जाता है. वो वहां अपने बच्चे की चीज़ें देखकर इमोशनल हो जाता है. क्योंकि उसे लगता है कि आरती ने ये सारी चीज़ें उससे छुपाकर कीं. उसके बच्चे को उससे दूर रखा. इसके बाद वो वहां बैठकर फूट-फूटके रोता है.
धर्मेश बताते हैं कि इस सीन में आमिर ने जो किया वो कोई देख नहीं पाया. फिल्म के डायरेक्टर होने के नाते इस सीन में उन्हें आमिर खान के भीतर का एक्टर नज़र आया. उस एक्टर की रेंज दिखाई दी. मार्केट की डिमांड के मुताबिक इसके साथ कई और सीन फिल्म से काटकर अलग करने पड़े. जब धर्मेश ने आमिर को इस सीन के कटने की बात बताई, तो वो भी बड़े निराश हुए. क्योंकि उन्होंने बड़े मन से इस सीन में परफॉर्म किया था. मगर मसला ये था कि आमिर ने कॉमर्शियल वायबलिटी को देखते हुए ही ये फिल्म साइन की थी. इसलिए वो नहीं चाहते थे कि उसके बीच में कोई चीज़ आए.
फिल्म के एक सीन में इमोशनल आमिर खान.
फिल्म के एक सीन में इमोशनल आमिर खान.

# बेस्ट सीन कटने बाद भी आमिर ने जीता पहला बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड
आमिर खान फिल्मफेयर में सात बार बेस्ट एक्टर अवॉर्ड के लिए नॉमिनेट हो चुके थे. मगर उन्हें ये अवॉर्ड कभी नहीं मिला था. 1996 में वो ये अवॉर्ड जीतने के काफी करीब पहुंचे थे. मगर फिल्मफेयर की ज्यूरी ने ‘रंगीला’ में आमिर की परफॉरमेंस के ऊपर ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ में शाहरुख को तरजीह दी. इस घटना से आमिर इतने दुखी हुए कि उन्होंने अवॉर्ड शोज़ में जाना ही छोड़ दिया. फाइनली 1997 में ‘राजा हिंदुस्तानी’ के लिए आमिर को उनका पहला फिल्मफेयर बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड मिला. इस साल शाहरुख खान की कोई फिल्म इस कैटेगरी में नॉमिनेट नहीं हुई थी.
आगे आमिर ने ‘लगान’ के लिए फिल्मफेयर बेस्ट एक्टर अवॉर्ड जीता. फिल्म ‘रंग दे बसंती’ के लिए उन्हें क्रिटिक्स बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड भी दिया गया. मगर आमिर ने कभी किसी शो में जाकर ये अवॉर्ड्स नहीं लिए.
# राजा हिंदुस्तानी के गानों ने फिल्म को बनाया सुपरहिट
‘राजा हिंदुस्तानी’ की सफलता में फिल्म के म्यूज़िक का बड़ा हाथ था. इस फिल्म का म्यूज़िक क्रिएट किया था नदीम और श्रवण की ब्लॉकबस्टर जोड़ी ने. ‘कितना प्यारा तुझे रब ने बनाया’ से लेकर ‘आए हो मेरी ज़िंदगी में’ और ‘परदेसी परदेसी’ चार्टबस्टर साबित हुए. होता ये है कि पब्लिक फिल्म देखे या न देखे मगर फिल्म के गाने उन तक अलग-अलग माध्यमों से पहुंच जाते हैं. इसलिए फिल्ममेकर्स ऐसा म्यूज़िक चाहते हैं, जिसकी एक्सेप्टेंस ज़्यादा हो. यानी इतना मेनस्ट्रीम हो कि उसे हर तबके का शख्स समझ और एंजॉय कर सके. ये चीज़ ‘राजा हिंदुस्तानी’ के फेवर में काम कर गई. प्रेम में पड़े लोग ‘कितना प्यारा तुझे’ गुनगुनाने लगे. लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप वालों को ‘परदेसी परदेसी’ जैसा एंथम मिल गया. दिलजले ‘इश्क में नाच-नाचकर’ बेहाल हो गए. इसका नतीजा ये रहा कि ‘राजा हिंदुस्तानी’ साल का सबसे ज़्यादा बिकने वाला म्यूज़िक एल्बम साबित हुआ. उदित नारायण को ‘परदेसी परदेसी’ के लिए उनके करियर का तीसरा फिल्मफेयर बेस्ट सिंगर अवॉर्ड मिला. जाते-जाने वो गाना भी सुनते जाइए-

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