पीएम मोदी आज सूरत में विश्व के सबसे बड़े कॉरपोरेट कार्यालय का करेंगे उद्घाटन
Surat Diamond Bourse: PM मोदी ने किया दुनिया के सबसे बड़े कार्यालय भवन का उद्घाटन, पेंटागन भी छूटा पीछे, देखें
इस भव्य इमारत का निर्माण करने वाली कंपनी के अनुसार, इसमें 7.1 मिलियन वर्ग फुट से अधिक फर्श की जगह मौजूद है। इमारत का निर्माण चार साल में पूरा हुआ है।
पीएम मोदी आज सूरत में विश्व के सबसे बड़े कॉरपोरेट कार्यालय का करेंगे उद्घाटन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को दुनिया के सबसे बड़े कार्यालय भवन- सूरत डायमंड बोर्स का उद्घाटन कर दिया। इसी के साथ अमेरिका के रक्षा मंत्रालय पेंटागन को पीछे छोड़कर भारत में अब दुनिया का सबसे बड़ा कार्यालय भवन शुरू हो गया है। 80 वर्षों तक, पेंटागन दुनिया की सबसे बड़ी कार्यालय इमारत थी। लेकिन, यह उपाधि अब गुजरात के सूरत में निर्मित इमारत ने ले ली है। इस इमारत में हीरा व्यापार केंद्र होगा।
गौरतलब है कि सूरत को विश्व की रत्न राजधानी के रूप में जाना जाता है, जहां दुनिया के 90% हीरे तराशे जाते हैं। नवनिर्मित सूरत डायमंड बोर्स में 65,000 से अधिक हीरा पेशेवर एक साथ काम कर सकेंगे।
15 मंजिला यह इमारत 35 एकड़ भूमि में फैली हुई है और इसमें नौ आयताकार संरचनाएं बनी हैं। जो एक केंद्र से आपस में जुड़ी हैं। इस भव्य इमारत का निर्माण करने वाली कंपनी के अनुसार, इसमें 7.1 मिलियन वर्ग फुट से अधिक फर्श की जगह मौजूद है। इमारत का निर्माण चार साल में पूरा हुआ है।
पीएम मोदी आज करेंगे सूरत डायमंड बोर्स का उद्घाटन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज दुनिया के सबसे बड़े कॉरपोरेट ऑफिस हब ‘सूरत डायमंड बोर्स’ का उद्घाटन करेंगे। 3400 करोड़ रुपये की लागत से 35.54 एकड़ भूमि पर निर्मित सूरत डायमंड बोर्स कच्चे और पॉलिश किए गए हीरे के व्यापार का एक वैश्विक केंद्र बनने के लिए तैयार है
व्यापारियों को नहीं जाना होगा मुंबई
एसडीबी वेबसाइट के अनुसार, कमर्शियल कॉम्प्लेक्स में एक मनोरंजन क्षेत्र और पार्किंग क्षेत्र है जो 20 लाख वर्ग फुट में फैला हुआ है। परियोजना के सीईओ महेश गढ़वी ने इस इमारत के निर्माण के दौरान कहा था कि नया भवन परिसर खुलने के बाद हजारों लोगों को व्यवसाय करने के लिए ट्रेन से मुंबई जाने की जरूरत नहीं होगी। जिन्हें कभी-कभी हर दिन मुंबई की यात्रा करनी पड़ती थी।
मॉर्फोजेनेसिस कंपनी ने बनाया था इमारत का डिजाइन
एक अंतरराष्ट्रीय डिजाइन प्रतियोगिता के बाद भारतीय आर्किटेक्ट कंपनी मॉर्फोजेनेसिस (Morphogenesis) ने इस इमारत का डिजाइन तैयार गया था। गढ़वी ने बताया कि यह परियोजना पेंटागन को पछाड़ने की प्रतिस्पर्धा का हिस्सा नहीं है, बल्कि परियोजना का आकार मांग के आधार पर तय किया गया था। उन्होंने कहा कि इमारत में बने सभी कार्यालय निर्माण से पहले हीरा कंपनियों ने खरीद लिए थे।
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