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19 वर्षीया लड़की ने पूरा किया नासा का प्रोग्राम, पहली भारतीय बन रचा इतिहास

Editor Editor
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आंध्र-प्रदेश में पश्चिम गोदावरी के पलाकोल्लू की 19 वर्षीया जाह्नवी डांगेती बचपन से ही अंतरिक्ष, ग्रहों और तारों के बड़े में जानने को उत्सुक रही हैं. फिलहाल वह इंजीनियरिंग में दूसरे वर्ष की छात्रा हैं. और हाल ही में उन्होंने अमेरिका के अलबामा में नासा लॉन्च ऑपरेशंस के कैनेडी स्पेस सेंटर में अंतर्राष्ट्रीय वायु और अंतरिक्ष कार्यक्रम (IASP) को पूरा किया है.

ऐसा करने वाली अब तक वह एकमात्र भारतीय हैं. उनका कहना है कि वह मंगल ग्रह पर कदम रखने वाले पहले भारतीयों में से एक होने का सपना देखती हैं.

बताया जाता है कि IASP इस कार्यक्रम के लिए दुनिया भर से केवल 20 युवाओं का चयन करता है. जिनमें से इस बार एक जाह्नवी भी थीं और उन्होंने इस कार्यक्रम को सफलता पूर्वक पूरा किया है. उनके मुताबिक, इसमें जीरो ग्रेविटी, मल्टी-एक्सेस ट्रेनिंग और अंडरवाटर रॉकेट लॉन्च जैसी गतिविधियां शामिल थीं. उन्होंने पहली बार एक विमान का संचालन भी किया.

छोटी उम्र में बड़ी उड़ान:
प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान, उन्हें ‘टीम कैनेडी’ के लिए मिशन निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया. जहां उन्होंने कई देशों के 16 लोगों के समूह का नेतृत्व किया. उनकी टीम ने सफलतापूर्वक एक लघु रॉकेट को आकाश में लॉन्च किया और फिर लैंड किया.

जाह्नवी एक स्टार्टअप अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण केंद्र स्पेस मैजिका की उपाध्यक्ष हैं. वह एक भारतीय निजी एयरोस्पेस कंपनी स्टार (स्पेस टेक्नोलॉजी और एरोनॉटिकल रॉकेट्री) सहित कई संगठनों के लिए कैंपस एंबेसडर रही हैं. जाह्नवी इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन ऑफ एस्पायरिंग एस्ट्रोनॉट्स (IOAA) की सदस्य हैं.

उनका नाम इंडियन बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी दर्ज है. उन्हें एक मैक्सिकन कंपनी से IASP कार्यक्रम के लिए छात्रवृत्ति भी मिली. एस्ट्रोनॉट बनने के लिए उन्होंने विशाखापत्तनम सहित विभिन्न स्थानों पर खुले पानी में स्कूबा डाइविंग का प्रशिक्षण लिया है. अब, वह एक स्कूबा स्कूल इंटरनेशनल-प्रमाणित ओपन वाटर स्कूबा डाइवर हैं।

जाह्नवी वर्तमान में पंजाब के एक निजी विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रही हैं. उन्होंने नासा, इसरो और अन्य अंतरिक्ष एजेंसियों के कई कार्यक्रमों और कार्यशालाओं में भाग लिया है.

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