अपनी प्रतिभा और बहादुरी से इतिहास रचने वाले वो 10 भारतीय जिन्हें हम आज भूल चुके हैं

अपनी प्रतिभा और बहादुरी से इतिहास रचने वाले वो 10 भारतीय जिन्हें हम आज भूल चुके हैं

अगर भारत के पिछले 100 सालों के इतिहास को देखें तो देश में कई बड़ी महान हस्तियों ने जन्म लिया है. इनमें से कुछ हमें छोड़कर चले गए हैं तो कुछ को हम भूल से गये है. भारत को आज़ाद कराने में कई महान क्रांतिकारियों ने अपने प्राणों की आहूति दी थी. उस दौर में क्रांतिकारियों के अलावा भी कई ऐसे लोग थे जिन्होंने पूरी दुनिया मेंभारत का नाम रौशन कियाथा, लेकिन इन महान हस्तियों को हम आज पूरी तरह से भूल चुके हैं. कुछ को छोड़ दें तो बाकियों के तो हमें नाम भी सही से मालूम नहीं है.

1- भारतीय शास्त्रीय संगीत की पहली ‘संगीत साम्राज्ञी’
भारतीय शास्त्रीय गायक केसरबाई केरकर (Kesarbai Kerkar) ने सन 1938 में ‘सुरश्री’ (संगीत की रानी) का ख़िताब जीता था. सबसे ख़ास बात केसरबाई के संगीत की गूंज अंतरिक्ष तक पहुंची थी, जब नासा की ‘Space Probe Voyager 1’ अपने साथ उनकी एक संगीत रचना को अपने साथ ले गई थी. एथनोम्युज़िकोलॉजिस्ट Robert E Brown ने केसरबाई के ‘राग भैरवी’ को भारतीय शास्त्रीय संगीत के बेहतरीन रिकॉर्ड किए गए उदाहरणों में से एक बताया था.

2- भारत के पहले IAS अधिकारी
सत्येंद्रनाथ टैगोर (Satyendranath Tagore) लेखक, कवि, साहित्यकार, संगीतकार और समाज सुधारक के तौर पर जाने जाते हैं. सन 1864 में उन्होंने ‘इंडियन सिविल सर्विस’ जॉइन की थी. सत्येंद्रनाथ टैगोर को भारत के पहले IAS अधिकारी (India First IAS Officer) के तौर पर भी जाना जाता है. वो विश्वविख्यात कवि रविंद्रनाथ टैगोर (Rabindranath Tagore) के बड़े भाई थे. लेखक, कवि, साहित्यकार के अलावा उन्होंने महिलाओं के उत्थान में भी अपना काफ़ी योगदान दिया था.

3- दुनियाभर में ‘ह्यूमन कंप्यूटर’ के नाम से मशहूर
‘ह्यूमन कंप्यूटर’ के नाम से मशहूर शकुंतला देवी (Shakuntala Devi) बड़ी से बड़ी संख्या को गुणा करके मिनटों में उसका हल निकलने के अपने कौशल के लिए दुनियाभर में मशहूर थीं. गणितीय क्षमताओं के अलावा ये उनका दृढ़ निश्चय ही था जिसकी मदद से वो लोगों को आश्चर्यचकित करने में हमेशा सफल रहीं. सन 1977 में उन्होंने समलैंगिकता पर एक किताब लिखी थी, ये भारत में अपनी तरह का पहला प्रयास था.

4- भारत की पहली महिला चार्टर्ड एकाउंटेंट
आर. शिवाभोगम (R. Sivabhogam) भारत की पहली महिला चार्टर्ड एकाउंटेंट के रूप में जाती हैं. महात्मा गांधी की विचारधाराओं से प्रभावित शिवाभोगम साधारण जीवन जीने में विश्वास करती थीं. इसलिए वो केवल खादी पहनती और बस से यात्रा करती थीं. शिवाभोगम ने ‘सविनय अवज्ञा आंदोलन’ के दौरान विदेशी सामानों का बहिष्कार भी किया था. जब वो जेल में थीं, तब उन्होंने ग्रेजुएट डिप्लोमा इन अकाउंटेंसी (जीडीए) की परीक्षा दी और बाद में भारत की पहली महिला ऑडिटर बनीं.

5- क्‍वॉन्‍टम फ़िजिक्‍स की खोज करने वाले
सत्‍येंद्र नाथ बोस (Satyendra Nath Bose) को सन 1920 के दशक में क्‍वॉन्‍टम फिजिक्‍स (Quantum Physics) में किए गए उनके शोध के लिए दुनिया भर में जाना जाता है. सत्‍येंद्र नाथ बोस भारत के एक ऐसे महान वैज्ञानिक थे जिनकी Quantum Theory के मुरीद मशहूर वैज्ञानिक अलबर्ट आइंस्‍टाइन भी हो गए थे. बावजूद इसके बोस की काबिलियत के अनुरूप भारत में उन्हें वो सम्मान नहीं मिला जिसके वो हक़दार थे. यहां तक कि उनके लिखे शोध पत्रों को देश की किसी भी पत्रिका ने जगह तक नहीं दी.

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